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Karnataka Politics में अटकलों का बाजार गर्म! डीके शिवकुमार की ताजपोशी पर अड़े विधायक क्या सिद्धारमैया खेमा को देंगे मात? समझें समीकरण

Karnataka Politics में अटकलों का बाजार गर्म है। आलम ये है कि डीके शिवकुमार गुट के विधायक उनकी ताजपोशी की मांग लिए हुंकार भर रहे हैं। दूसरी ओर सीएम सिद्धारमैया हैं जो कार्यकाल पूरा करने और 5 वर्ष तक सीएम बने रहने की बात दोहरा रहे हैं।

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Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Karnataka Politics: बेंगलुरु से लेकर बेलगावी, धारवाड़ तक सियासी हलचल मची है। इसकी प्रमुख वजह है नेतृत्व परिवर्तन को लेकर जारी अटकलें। डीके शिवकुमार खेमा के विधायक अपने नेता की ताजपोशी पर अड़ गए हैं। वहीं सीएम सिद्धारमैया किसी भी हाल में कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं है। इस बीच खबर है कि विधायकों का गुट अपनी मांग को लेकर अड़ गया है।

कर्नाटक पॉलिटिक्स में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर छिड़ी सियासी जंग अब दो गुटों को आमने-सामने कर रही है। हालांकि, डीके शिवकुमार के साथ विधायकों की संख्या कम होने की खबर है जिसकी वजह से वो प्रभावी रूप से आलाकमान पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या डिप्टी सीएम का खेमा सिद्धारमैया को मात दे पाएगा? आइए हालिया समीकरण का जिक्र करते हुए आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं।

नेतृत्व परिवर्तन को लेकर Karnataka Politics में अटकलों का बाजार गर्म!

सियासी संकट से जूझ रही कांग्रेस एक बार फिर कर्नाटक में फंसती नजर आ रही है। दरअसल, सत्ता परिवर्तन फॉर्मूले का जिक्र कर कई विधायक डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की मांग कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 2.5-2.5 साल सीएम बनाने का फैसला लिया गया था। हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं है। इसी मांग को लेकर विधायकों का एक गुट दिल्ली दौरे पर पहुंचा और आलाकमान तक संदेश पहुंचाने की कोशिश हुई। इन सारे घटनाक्रमों की वजह से कर्नाटक पॉलिटिक्स का तापमान बढ़ता नजर आ रहा है और अटकलों का बाजार गर्म है।

डीके शिवकुमार की ताजपोशी पर अड़े विधायक क्या सिद्धारमैया खेमा को देंगे मात?

इस सवाल का जवाब भविष्य के गर्भ में है। ऐसे में इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट रूप से कहना अभी संभव नहीं है। हां ये जरूर है कि डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की मांग तेज हो गई है। विधायकों का एक गुट आलाकमान को सीधा नेतृत्व परिवर्तन का संदेश दे रहा है। वहीं सीएम सिद्धारमैया हैं जो किसी भी तरह के फॉर्मूले को सिरे से खारिज कर कार्यकाल पूरा करने की बात कर रहे हैं। इससे पूर्व राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के समक्ष नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ चुकी है।

हालांकि, दोनों जगह गहलोत और भूपेश बघेल अपनी कुर्सी बचा पाने में कामयाब रहे थे। यही वजह है कि डीके शिवकुमार की ताजपोशी फिलहाल कमजोर कड़ी लगती है। इसके आसार कम हैं कि उनके गुट के विधायक सीएम सिद्धारमैया को मात दे पाएंगे। हालांकि, राजनीति में किसी भी संभावनाओं से नकारा नहीं जा सकता। ऐसे में कब क्या हो जाए भला किसे पता। फिलहाल सबकी नजरें आलाकमान के रुख पर टिकी हैं जिसके बाद नेतृत्व परिवर्तन को लेकर छिड़ी सियासी जंग की तस्वीर साफ हो सकेगी।

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