RSS: संघ की शाखा और अन्य गतिविधियां धीरे-धीरे बीजेपी के अभेद किला तमिलनाडु और केरल में बढ़ रही हैं। ये बातें तमाम ऐसे टिप्पणीकारों के हवाले से कही जा रही हैं जो आरएसएस की गतिविधियों पर पैनी नजर रखते हैं। वर्ष 2026 में असम और पश्चिम बंगाल के साथ तमिलनाडु और केरल में भी विधानसभा का चुनाव होना है। इसको लेकर सियासी सरगर्मी जोरों पर है।
दक्षिण में बीजेपी के लिए जमीन तैयार कर रही आरएसएस के शाखा विस्तार से विपक्षी खेमा में हलचल बढ़ी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या तमिलनाडु में आरएसस एमके स्टालिन की डीएमके और केरल में वामपंथ का खेल बिगाड़ सकता है? इससे इतर भी कुछ अन्य सवाल हैं जो दक्षिण में आरएसएस की बढ़ती गतिविधियों के बीच उठ रहे हैं।
क्या एमके स्टालिन और केरल में वामपंथी दलों का खेल बिगाड़ सकती है RSS?
इस सवाल का पुख्ता जवाब भविष्य के गर्भ में है जिसके बारे में हम स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह सकते। आरएसएस तमिलनाडु में एमके स्टालिन और केरल में वाम दलों का खेल बिगाड़ेगी की या नहीं, ये दूर की कड़ी है। लेकिन ये लगभग तय है कि दक्षिण भारत के इन दोनों राज्यों में हिंदू राष्ट्रवादी संगठन की पैठ मजबूत हुई है। उदाहरण से समझें तो 2019 लोकसभा चुनाव की तुलना में 2024 में बीजेपी तमिलनाडु में 3.6 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रही। तमिलनाडु में बीजेपी का वोट प्रतिशत सीपीआई व सीपीआईएम से ज्यादा रहा था।
केरल की बात करें तो यहां हाल ही में हुए पंचायत व निकाय चुनाव में बीजेपी ने शशि थरूर के संसदीय क्षेत्र तिरुवनंतपुरम में शानदार जीत दर्ज की थी। इससे पहले 2024 लोकसभा चुनाव में भी केरल की त्रिशूर सीट पर भाजपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज कर शानदार खाता खोला था। ये साफ तौर पर दक्षिण में आरएसएस की मजबूत होती साख का उदाहरण है। ऐसे में ये तय है कि आरएसएस भले ही तमिलनाडु में एमके स्टालिन की डीएमके और केरल में वाम दलों और कांग्रेस का खेल न बिगाड़ पाए, लेकिन उनके समक्ष कड़ी चुनौती जरूर पेश करेगी।
संघ की शाखा विस्तार से सियासी हलचल तेज
दक्षिण में संघ की गतिविधियां तेजी से बढ़ी हैं। आलम ये है कि तमिलनाडु और केरल में आरएसएस की शाखाओं का विस्तार हुआ है। टिप्पणीकारों की मानें तो आरएसएस तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में अपना प्रभाव छोड़ चुका है। भारी संख्या में स्थानीय युवा संघ की शाखा का हिस्सा बनकर विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं। इससे इतर आरएसएस के बैनर तले आयोजित तमाम सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में भी लोगों की सहभागिता बढ़ी है। ये साफ तौर पर स्थानीय विपक्ष के लिए चिंता का कारण हो सकता है। जहां तमिलनाडु में द्रविण राजनीति और केरल में वामपंथ का बोलबाला हो, वहां धीरे-धीरे ही सही, लेकिन आरएसएस का विस्तार होना विपक्षी खेमा में सियासी हलचल मचाने को काफी है।
