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Artificial Rain से सुधरेगी दिल्ली की आबोहवा, खास तकनीक के जरिए अक्टूबर-नवंबर में कराई जाएगी नकली वर्षा; क्या लोगों को मिलेगी प्रदूषण से मुक्ति?

Artificial Rain: आने वाली सर्दियों में दिल्लीवासियों को साफ हवा मिल सकती है। दिल्ली सरकार खास तकनीक के जरिए अक्टूबर-नवंबर में नकली वर्षा कराएगी। इसके लिए दिल्ली सरकार ने पूरी योजना बना ली है।

Artificial Rain
Artificial Rain की सांकेतिक फोटो, Photo Credit: Google

Artificial Rain: यह बात तो जगजाहिर है कि हर साल सर्दियों में राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की चादर पूरा आसमान घेर लेती है। ऐसे में लोगों को काफी घुटन और कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मगर इस साल दिल्लीवासियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। दरअसल, दिल्ली सरकार ने आर्टिफिशियल तकनीक का इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। कृत्रिम वर्षा कराने की योजना बनाई है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस संबंध में जानकारी दी है। अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली में इसका ट्रायल होगा। यह उत्तरी दिल्ली में किया जाएगा। ऐसे में अब लोगों को इस साल प्रदूषण से मुक्ति पाने की संभावना है।

Artificial Rain सुधर सकती है दिल्ली की हवा, सरकार ने बनाई खास योजना

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए अक्टूबर-नवंबर में पहली बार कृत्रिम बारिश का परीक्षण करने की घोषणा की। मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने क्लाउड सीडिंग और कृत्रिम वर्षा की योजना बनाई थी, हमें अनुमति मिल गई है। अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली में इसका ट्रायल होगा। यह उत्तरी दिल्ली में किया जाएगा, हिंडन हवाई अड्डे से सेना विमान के साथ ट्रायल पूरा किया जाएगा। आईआईटी कानपुर इसका संचालन करेगा। मैं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता को धन्यवाद देना चाहता हूँ, उनके प्रयासों से हम अक्टूबर-नवंबर में लोगों को स्मॉग से राहत दिला पाएंगे।’

कृत्रिम वर्षा के लिए डीजीसीए ने जारी किए दिशा-निर्देश

वहीं, दिल्ली सरकार ने बुधवार को कहा कि उसे 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक क्लाउड सीडिंग परीक्षण करने के लिए डीजीसीए यानी नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से मंजूरी मिल गई है। डीजीसीए के मुताबिक, कृत्रिम वर्षा की पूरी प्रक्रिया के दौरान पर्यटन मंत्रालय, आईआईटी कानपुर के साथ अन्य कई विभाग भी शामिल होंगे। साथ ही बताया गया है कि कृत्रिम वर्षा करने वाले एयरक्राफ्ट के क्रू मेंबर और इंजीनियर डीजीसीए की सर्विलांस में रहेंगे। इतना ही नहीं, विमान के पायलट के पास प्रोफेशनल लाइसेंस और मेडिकल फिटनेस होना आवश्यक है। इस दौरान हवाई फोटोग्राफी की अनुमति नहीं होगी।

जानिए क्या है कृत्रिम वर्षा कराने की प्रक्रिया और किस टेक्नोलॉजी का होता है इस्तेमाल

जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में कृत्रिम वर्षा के लिए एक खास टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। कृत्रिम वर्षा के लिए मुख्य तौर पर किसी विमान या ड्रोन के जरिए छोटे बादलों में सिल्वर आयोडाइड मिलाया जाता है। इसके बाद बादलों में नमी को आकर्षित किया जाता है। ऐसा होने के बाद बर्फ और बूंदों के छोटे क्रिस्ट्रल बनते हैं। यही क्रिस्ट्रल आगे चलकर भारी हो जाते हैं और फिर बारिश होती है। ऐसे में कृत्रिम वर्षा से लोगों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या दिल्ली सरकार की कृत्रिम वर्षा के बाद आगामी सर्दी में दिल्ली वासियों को प्रदूषण से आजादी मिल पाएगी?

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