Asim Munir: संतुलन ऐसा बिगड़ा है कि आतंक का आका पाकिस्तान अब अमेरिका का हिमायती होने लगा है। इसी ताजा बानगी एक निमंत्रण है। दरअसल, यूएस आर्मी की 250वीं वर्षगांठ पर पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर शामिल होंगे। खबरों के मुताबिक आसिम मुनीर को अमेरिका का गेस्ट लिस्ट में शामिल किया गया है जिसके बाद सवालों के अंबार लगे पड़े हैं। पूछा जा रहा है कि खुद आतंकवाद से पीड़ित रह चुका America कैसे पाकिस्तान को इतना भाव देने लगा? कहीं ये कदम भारत की बढ़ती साख को न्यूट्रल करने की कोशिश तो नहीं है? क्या Asim Munir के कंधे पर बंदूक रखकर ट्रंप शासन एशिया में नए समीकरण साधने में जुटा है। ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब ढूंढ़े जाने के लिए जद्दोजहद जारी है।
US की गेस्ट लिस्ट में शामिल हुए Asim Munir, तो लगे सवालों के अंबार!
ऐसी तमाम खबरे हैं जिनमें आसिम मुनीर को अमेरिका द्वारा मिले निमंत्रण का दावा किया गया है। खबरों के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी फील्ड मार्शल 14 जून को यूएस आर्मी की 250वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का हिस्सा बनने वाशिंगटन डीसी जा सकते हैं। इस दौरान US Army की परेड देखने के साथ Asim Munir दुनिया के तमाम आर्मी कमांडरों से भी मुलाकात कर सकते हैं। ये ऐसी खबर जिसने कई सवालों को जन्म दे दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि आतंक को पोषण उपलब्ध कराने वाले पाकिस्तानी आर्मी चीफ को भला अमेरिका कैसा निमंत्रण दे सकता है। क्या वो दिन भूल गया जब पाकिस्तान द्वारा फंडेड ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका में तबाही मचाई थी और कईयों की जान गई थी। इन सबके बावजूद पाकिस्तान और अमेरिका के ताल्लुकात बदलते समीकरण की ओर इशारा कर रहे हैं।
क्या भारत की बढ़ती साख से घबरा रहा ट्रंप शासन?
ये एक ऐसा सवाल है जो हालिया परिस्थिति को देखते हुए उठ रहा है। दरअसल, संपूर्ण विश्व में भारत की छवि किस कदर उभर रही है, ये किसी से नहीं छिपा। आलम ये है कि यूक्रेन, रूस, मिडिल इस्ट, इजरायल समेत अन्य तमाम देशों में भारत के स्टैंड का मतलब होता है। वहीं अमेरिका अपनी सुपर पावर होने की धौंस जमाते हुए दुनिया में एकछत्र राज चाहता है। हालांकि, भारत का उभरना ट्रंप शासन के रास्ते में कई बार रोड़ा बन जाता है। यही वजह है कि अब अमेरिका Asim Munir के बहाने भारत को न्यूट्रल करने की कोशिश कर सकता है। दावा किया जा रहा है कि अमेरिका की सधी चाल हो सकती है, ताकि आसिम मुनीर को फ्रंटफुट पर लाकर दुनिया को एक संदेश दिया जाए। हालांकि, अमेरिका इस मंसूबे में कभी सफल नहीं हो पाएगा।