Muhammad Yunus: कट्टरपंथ का खुल्लम-खुल्ला प्रदर्शन अब बांग्लादेश में शुरू हो चुका है। शेख मुजीबुर रहमान का मुल्क कहे जाने वाले बांग्लादेश से अब उन्हीं के चिन्हों को मुहम्मद युनूस की अंतरिम सरकार ध्वस्त कर रही है। करेंसी से शेख मुजीबुर की तस्वीर हटाना हो, या उनसे स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा छीनना। अंतरिम सरकार एक-एक कर Bangladesh की अस्मिता को चोट पहुंचा रही है। अगर ऐसा ही रहा, तो वो दिन दूर नहीं है जब बांग्लादेश अपनी मूल अस्मिता को पूरी तरह से खोकर दुनिया में उभरते कट्टरपंथी देश के रूप में पहचाना जाएगा। इसके लिए पूरी तरह से Muhammad Yunus ही जिम्मेदार होंगे जिन्होंने सेना से खटपट के बीच सधी चाल चलते हुए बांग्लादेश की अस्मिता को चोट पहुंचाने का काम किया है।
एक-एक कर शेख मुजीब के चिन्हों को ध्वस्त कर रहे कट्टरपंथी Muhammad Yunus
ताजा जानकारी के मुताबिक मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने शेख मुजीबुर रहमान से जुड़ी कुछ चिन्हों को फिर मिट्टी में मिलाया है। कट्टरपंथ के नशे में चूर मुहम्मद यूनुस ने पहले तो शेख मुजीब से राष्ट्रपिता का दर्जा छीन लिया। अब कानून में संशोधन करते हुए उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की सूची से भी बाहर निकाल दिया है। उससे इतर Muhammad Yunus की सरकार ने करेंसी (टका) से शेख मुजीबुर की तस्वीर हटाने का निर्णय भी लिया है। तख्तापलट के वक्त कट्टरपंथियों ने ढ़ाका में स्थित शेख मुजीब की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया था जिन्हें बाद में संरक्षण मिला। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि पाकिस्तान और चीन से नजदीकियां बढ़ा-बढ़ाकर मुहम्मद यूनुस की सरकार शेख मुजीब के चिन्हों को ध्वस्त कर रही है।
Bangladesh की अस्मिता को संकट में डाल रही मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार!
लगातार कट्टरपंथ को बढ़ावा देकर Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार बांग्लादेश की अस्मिता को संकट में डाल रही है। ये वही बांग्लादेश है जो शेख हसीना के नेतृत्व में संपूर्ण एशिया में अपनी अलग पहचान रखता है। विकास के पैमाने पर भी Bangladesh फिट था। जब से तख्तापलट हुआ और कमान मुहम्मद यूनुस को मिली, तब से बांग्लादेश का बंटाधार शुरू है। ऐसा ही रहा तो धीरे-धीरे स्थिति और लचर हो जाएगी और बांग्लादेशी अस्मिता विलुप्त हो जाएगी जिसके बाद मुहम्मद यूनुस अपनी असफलता की ढ़पली पीटते रहेंगे।