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Bangladesh Violence: क्या ऐसे होगी लोकतंत्र की बहाली? आम चुनाव से ठीक पहले ढ़ाका से चटगांव, सिलहट तक हिंसा; उग्र भीड़ के आगे बेबस यूनुस सरकार

Bangladesh Violence: मुल्क में आम चुनाव से ठीक पहले ढ़ाका से चटगांव, सिलहट तक हिंसा जारी है। उग्र भीड़ ने सड़क पर कब्जा जमा लिया है और दुकानें, गाड़ियां आदि आग के हवाले की जा रही हैं। इन सबके बीच यूनुस सरकार हिंसक भीड़ के आगे बेबस नजर आ रही है।

Bangladesh Violence
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Bangladesh Violence: पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश फिर एक बार हिंसा की भेंट चढ़ गया है। तख्तापलट के बाद लगातार उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे बांग्लादेश में फिर एक बार ढ़ाका से सिलहट, राजशाही, चटगांव तक स्थिति बिगड़ गई है। उग्र भीड़ ने छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद मुल्क को हिंसा की आग में ढकेल दिया है। ये सबकुछ फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनाव से पहले हो रहा है। बांग्लादेश हिंसा को लेकर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या ऐसे मुल्क में लोकतंत्र की बहाली होगी? बांग्लादेश में हिंसा उपजने का कारण क्या है? तो आइए इन सवालों का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं। साथ ही हिंसक भीड़ के आगे बेबस नजर आ रही यूनुस सरकार की कार्यशैली पर भी प्रकाश डालने की कोशिश करेंगे।

आम चुनाव से ठीक पहले ढ़ाका से चटगांव, सिलहट तक हिंसा!

उग्र भीड़ ने बांग्लादेश को फिर एक बार हिंसा की आग में ढकेल दिया है। आलम ये है कि चटगांव से सिलहट, ढ़ाका तक जल उठे हैं। 32 वर्षीय छात्रनेता शरीफ उस्मान हादी को बीते शुक्रवार यानी 12 दिसंबर को चुनाव प्रचार के दौरान गोली मारी गई थी। स्थिति गंभीर होने के बाद हादी को सिंगापुर इलाज के लिए भर्ती कराया गया लेकिन डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके। इस खबर के सामने आते ही हिंसक भीड़ ने ढ़ाका से चटगांव, राजशाही, सिलहट तक जमकर उत्पात मचाया। राजशाही में स्थित भारतीय मिशन पर भी हमले की कोशिश की गई। स्थिति को देखते हुए भारतीय उच्चायोग ने एडवाइजरी जारी की है। बांग्लादेशी सेना जगह-जगह तैनात होकर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश में जुटी है।

सबसे अहम बात ये है कि फरवरी 2026 में बांग्लादेश में आम चुनाव होने हैं। इसके लिए चुनावी प्रचार-प्रसार का दौर भी जारी है। इस बीच पूर्व पीएम शेख हसीना की आवामी लीग को निशाना साधना, उनके दफ्तरों को जलाना और आवामी से जुड़े नेताओं की हत्या कई सवालों को जन्म देता है। मुल्क में लोकतंत्र की बहाली करने का दावा करने वाली हुकूमत क्या ऐसे सफल होगी। यदि बांग्लादेश ऐसे ही हिंसा की आग में जलता रहा, तो क्या लोकतंत्र की बहाली हो सकेगी।

हिंसक भीड़ के आगे बेबस अंतरिम सरकार!

मुल्क में पसरे तनाव के बीच अंतरिम सरकार की स्थिति देखने योग्य है। मोहम्मद यूनुस की हुकूमत हिंसक भीड़ के आगे बेबस नजर आ रही है। सेना की तैनाती तो ढ़ाका से चटगांव, राजशाही तक है, लेकिन इसके बावजूद उग्र भीड़ पर नियंत्रण पाना कठिन होता जा रहा है। कट्टरपंथ के भाव से भरी भीड़ लगातार सड़कों पर तोड़-फोड़ करते हुए दुकानों और गाड़ियों को आग के हवाले कर रही है। इतना ही नहीं, आवामी लीग के नेताओं, कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय अल्पसंख्यकों को भी निशाने पर लिया जा रहा है। इन तमाम घटनाक्रमों के बावजूद मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार बेबस है और उग्र भीड़ को नियंत्रित करने में असफल साबित हुई है।

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