PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 समिट में शामिल होने के लिए दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग पहुंच गए हैं। शुक्रवार को पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंटनी अल्बानीज के साथ महत्वपूर्ण मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के प्रमुखों ने भारत-ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते को मजबूत करने पर जोर दिया। साथ ही डिफेंस, महत्वपूर्ण खनिज, न्यूक्लियर एनर्जी, ट्रेड और आतंकवाद समेत अन्य कई मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर विस्तार से चर्चा हुई।
PM Modi ने कहा- ‘इस साल हमारे देशों के बीच स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के 5 साल पूरे हो रहे हैं’
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स यानी ट्विटर पर पीएम मोदी ने लिखा, ‘ऑस्ट्रेलिया के पीएम अल्बानीज के साथ मीटिंग बहुत अच्छी रही। इस साल, हमारे देशों के बीच स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप के 5 साल पूरे हो रहे हैं और इन सालों में ऐसे बड़े बदलाव आए हैं जिनसे हमारा सहयोग और गहरा हुआ है।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘आज हमारी बातचीत में तीन खास सेक्टर पर जोर दिया गया, डिफेंस और सिक्योरिटी, न्यूक्लियर एनर्जी और ट्रेड, जहां रिश्तों को और बढ़ाने की बहुत ज्यादा गुंजाइश है। जिन दूसरे सेक्टर पर बात हुई उनमें एजुकेशन, कल्चरल लेन-देन और भी बहुत कुछ शामिल था।’
पीएम मोदी को लेकर ऑस्ट्रेलिया प्रधानमंत्री बोले-‘मोदी से मिलकर बहुत अच्छा लगा’
वहीं, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंटनी अल्बानीज ने एक्स पोस्ट पर लिखा, ऑस्ट्रेलिया और भारत बहुत अच्छे दोस्त और पार्टनर हैं। ट्रेड, डिफेंस और सिक्योरिटी से लेकर एजुकेशन और क्लीन एनर्जी तक, हमारे रिश्ते बहुत जरूरी हैं। जी-20 समिट से पहले अपने दोस्त प्राइम मिनिस्टर मोदी से मिलकर बहुत अच्छा लगा।
गौरतलब है कि पीएम मोदी शुक्रवार को जी-20 समिट में हिस्सा लेने के लिए जोहान्सबर्ग पहुंचे और अपने पहले बाइलेटरल एंगेजमेंट में अपने ऑस्ट्रेलियाई काउंटरपार्ट एंथनी अल्बानसे से मिले। अपनी बात में अल्बानसे ने रिश्ते को बहुत मजबूत बताया और कहा कि इकोनॉमिक रिश्ते को और मजबूत किया जा सकता है।
भारत के सहयोग से दक्षिण अफ्रीका में पहली बार हो रहा जी-20 शिखर सम्मेलन
पीएम मोदी ने जोहान्सबर्ग जाने से पहले कहा, ‘इस वर्ष का जमावड़ा विशेष रूप से खास है, क्योंकि यह अफ्रीका में आयोजित पहला जी-20 शिखर सम्मेलन है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘2023 में भारत की अध्यक्षता के दौरान ही अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया था। यह कदम भारत द्वारा ही आगे बढ़ाया गया था और इसे ग्लोबल साउथ देशों के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने में एक मील का पत्थर माना गया।’
