भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के बीच अब दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। अपनी विस्तारवादी नीति के लिए दुनिया में बदनाम हो चुके चीन के खिलाफ साउथ चाइना सी के विवादित क्षेत्र में चीन के 70 दिनों तक चलने वाले युद्धाभ्यास के जवाब में अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर और बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। अमेरिका की इस कार्रवाई से अब चीन परेशान हो गया है। चीन ने भी अमेरिका के खिलाफ अपने फाइटर जेट तैयार कर दिए हैं। कोरोना वायरस को लेकर लगातार अमेरिका के निशाने पर रहे चीन के खिलाफ यह अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है।
चीन के युद्धाभ्यास पर अमेरिका ने की कार्रवाई:
चीन को जवाब देने के लिए अमेरिका ने अपनी जंगी जहाजों के साथ दक्षिण चीन सागर में अपना अभ्यास शुरु कर दिया। इसमें अमेरिका के दो एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस निमित्ज और यूएसएस रोनाल्ड रीगन हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले अमेरिकी जंगी जहाजों ने 4 से 10 जुलाई तक सैन्याभ्यास किया था। वही अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के वाइस एडमिरल बिल मर्ज ने कहा, ‘क्षेत्र के अन्य सहयोगी देशों की तरह अमेरिका के इन प्रयासों का मकसद दक्षिण चीन सागर में उड़ान भरने, इलाके से समुद्री जहाजों के गुजरने और अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक संचालन करने में सहायता देना है।’ हालांकि सैटलाइट से मिली तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने दक्षिण चीन सागर में विवादित वूडी द्वीप समूह पर बनाए गए हवाई ठिकाने पर 8 फाइटर जेट तैनात किए हैं। इनमें से 4 जे-11Bs हैं और बाकी बमवर्षक विमान तथा अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाने में सक्षम फाइटर जेट हैं।
क्यो है समंदर में तनाव:
दक्षिण चीन सागर में जिस क्षेत्र पर चीन की नजर है वह खनिज और ऊर्जा संपदाओं का भंडार है। चीन का दूसरे देशों से टकराव भी कभी तेल, कभी गैस तो कभी मछलियों से भरे क्षेत्रों के आसपास होता है। वही अमेरिका और चीन के बीच जारी इस तनाव को देखते हुए पड़ोसी देश दहशत में आ गए हैं। मलेशिया के विदेश मंत्री हिशामुद्दीन हुसैन ने अमेरिका और चीन दोनों के सैन्य रुख पर चिंता जताई है। इंडोनेशिया के कोस्ट गार्ड के चीफ ने भी माना है कि अमेरिका और चीन के बीच प्रतिद्वंदिता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अमेरिकी विमानों का खतरा दिखाकर दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण कर रहा है।