सोशल मीडिया का अब तो ये हाल हो चुका है कि जनाब यहां आप से एक चूँक हुई और वहाँ आप पलक झपकते ही कितने लोगों के निशाने पर जायेंगे,आपको पता भी नहीं चलेगा और तो और कितने लोगों द्वारा आपको ट्रोल कर दिया जायेगा ,इसका अंदाज़ा भी लगा पाना मुश्किल है। अब हाल ही में सोशल मीडिया पर इसका ताज़ा उदाहरण देखने को मिला। मामल है पेटा (PETA) का । पेटा (PETA) (People for the Ethical Treatment of Animals) एक पशु-अधिकार संगठन है ,जो कि अपने को विश्व का सबसे बड़ा पशु-अधिकार संगठन होने का दावा करता है। पद्म श्री से सम्मानित मालिनी भारतीय लोक गायिका मालिनी अवस्थी और पेटा के बीच इस समय ट्विटर पर सवाल और जवाब की जंग छिड़ी हुई हैं। दरसल ,भारतीय लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने अपने ट्वीट में पेटा को भारत में चमड़ा मुक्त रक्षाबंधन अभियान को चलाने के लिए करारा जवाब दे दिया है और जंग छिड़ने का मुद्दा है कि पेटा ने भाई-बहन के इस पवित्र त्योहार के दौरान किसी भी जानवर, विशेष रूप से गायों को नुकसान नहीं पहुंचाने और चमड़े से मुक्त सामान का विकल्प चुनने के बारे में बात की है। दरसल , पेटा ने ट्वीट किया था – ‘इस रक्षाबंधन, गायों की भी रक्षा करें। साथ ही गाय का इमोजी भी लगाया #GoLeatherFree #NotOursToWear #VeganLeather #RakshaBandhan’
जाहिरतौर पर पेटा द्वारा किया गया ये ट्वीट किसी को भी बेतुका लग सकता था और पशु अधिकार संगठन का यह अभियान गायिका को भी बेतुका लगा क्योंकि सभी की तरह मालिनी ने भी चमड़े की राखियों के बारे में कभी नहीं सुना था। बस पेटा द्वारा किये गए इस अभियान को उन्होंने अजीब और बीमार करार दे दिया। इस ट्वीट पर मालिनी ने कहा कि – यह बेतुका है! राखी के चमड़े से बने होने के बारे में कभी नहीं सुना! @PetaIndia आपका दुर्भावनापूर्ण अभियान अजीब और बीमार है!’ जैसे ही पेटा को मालिनी अवस्थी की तरफ से ये लताड़ मिली। उन्होंने अपने ट्वीट के बारे में सफाई पेश करते हुए दूसरा ट्वीट किया और कहा कि – हमने यह नहीं कहा था। निश्चित रूप से आप इस बात से असहमत नहीं हैं कि रक्षा बंधन उन गायों को संरक्षण देने के लिए एक अच्छा दिन है। इस ट्वीट पर मालिनी ने जवाब देते हुए ट्वीट किया और साथ ही, उन्होंने पेटा से कुछ त्योहारों के विरोध में निवेश करने का आग्रह किया जो लोगों को जानवरों को मारने का आग्रह करते है। उन्होंने लिखा कि – रक्षाबंधन एक हिंदू त्योहार है और हिंदुओं गाय में देवियों और देवताओं का निवास मानते है। चमड़े की राखियों के बारे में उपदेश, जो भारत में एक सांस्कृतिक वास्तविकता भी नहीं है, @petaindia का प्रचार लगता है। आपको जानवरों की मौतों का जश्न मनाने वाले त्यौहारों का विरोध करने में निवेश करना चाहिए।