दुनिया में कई तरह के रिति-रिवाज हैं। जो अकसर सामने आते रहते हैं। जिन पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है कि, दुनिया में ऐसा भी होता है।
लेकिन हम तो बस ये ही कहेंगे दुनिया में जो न हो वो कम ही है। यही कारण है कि, हम हर रोज आपके लिए दुनिया की कुछ ऐसी अजीब परंपराएं लेकर आते हैं। जिन्हें जानकर आपके होश उड़ जाते होंगे और आपकी उत्सुकता भी बढ़ती जाती होगी।चलिए आपको आज भारत में मनाई जानें वाली एक ऐसी रस्म के बारे में बताते हैं, जिसमें इंसान खुद के शरीर को ही कष्ट देता है और वो भी ऐसे-वैसे तरीके से नहीं बल्कि सुईयों और हुकों को खाल पर गाड़कर। इस दर्दनाक परंपरा का निर्वाहन करते हुए जो लोग भी देखते हैं। उनके होश उड़ जाते होंगे।ये हैरान कर देने वाली परंपरा को हमारे ही देश के तमिलनाडु के मंदिरों मनाया जाता है। हर साल तमिलनाडु में अगस्त के महीनें में एक मेला लगता है।ये मेला सीयातहम्मन मंदिर में लगता है जो चेन्नई के बाहरी इलाके में बना पुराना काली का मंदिर है। इस मंदिर में पूरे महीनें भर ‘आड़ी’ महोत्सव मनाया जाता है। जिसमें लोग बढ़- चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
इस महीनें भर चलने वाले मेले के तीसरे सप्ताह में छेदन रस्म मनाई जाती है। जिसमें श्रद्धालुओं के मुंह, कान, जीभ या पूरे शरीर को छेदने के बाद सुन्दर विनायक मंदिर से यात्रा शुरू की जाती है। जिसका समापन सीयातहम्मन मंदिर में जाकर किया जाता है।आपको जानकर हैरानी होगी कि, श्रद्धालुओं के शरीर में हुक से छेद किया जाता है। जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें 48 दिनों का उपवास रखना पड़ता है। इस दौरान श्रद्धालु एक तुलसी की माला पहनते हैं और गणपति मंदिर पहुँचते हैं और स्नान करने के बाद चंदन और कुमकुम लगाते हैं।इसके बाद पुजारी शरीर छेदना शुरू करते हैं। इस दौरान मंदिर में ढोल-नगाड़े और प्रार्थना की जाती है।
इस दौरान श्रद्धालु अपने हिसाब से अपने शरीर पर छेद करवाते हैं।छेद करवाने के बाद श्रद्धालु नींबू, सेब, नारियल जैसे कई भारी चीजें इन हुकों और कुंदों पर लटकवाते हैं और खूब नाचते हैं।इस दौरान सभी श्रद्धालुओं को हल्दी, लाल मिर्च, दूध, दही, घी से नहलाया जाता है। इसके बाद इन सभी लोगों को आग पर चलाया जाता है। ये नजारा देखने में बेहद खतरनाक और दर्दनाक लगता है। लेकिन फिर भी लोग पूरे मन से इस मेले का हिस्सा बनते हैं और अपने शरीर पर खूब छेद करवाते हैं। इस परंपरा को करने का कारण बताते हुए यहां के लोग कहते हैं कि, ऐसा करने से घर में शांति और पापों से मुक्ति मिलती है। इनका मानना है कि, जितना इस दौरान शरीर को कष्ट दिया जाता है उतना ही भगवान प्रसन्न होते हैं