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पीटी उषा को 'उड़न परी' के नाम से भी जाना जाता है। केरल के कोझिकोड़ जिले के गांव में जन्मी पीटी उषा खेल के क्षेत्र में मिसाल कायम की और तीन ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया है।
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पीटी उषा ओलंपिक में फाइनल खेलने वाली इंडिया की पहली महिला एथलीट रही हैं। उन्होंने सबसे पहला ओलंपिक 1984 में लॉस एंजिलिस ओलंपिक खेला था। इस साल पीटी उषा को राज्यसभा के लिए नामित किया गया है।
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जो लड़कियां खेल, ट्रैक और फील्ड इवेंट में जाना चाहती हैं उनके लिए पीटी उषा शुरू से ही एक रोल मॉडल रहीं। अपने करियर में पीटी ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए भी और तोड़े भी।
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पीटी उषा ने विश्व जूनियर आमंत्रण मीट, एशियाई चैम्पियनशिप और एशियाई गेम्स समेत कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में मेडल जीते हैं। इसलिए उन्हें 'उड़न परी' ही नहीं बल्कि 'पय्योली एक्सप्रेस' और 'सुनहरी कन्या' के नाम से भी जाना जाता है।
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1984 के लॉस एंजिलिस ओलंपिक में पीटी उषा 400 मीटर बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रहीं और 1/100 सेकंड से भारत का पहला ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गई थीं।
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इसके आलावा पीटी उषा को अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। पीती उषा ने 1986 में सियोल एशियाई गेम्स में 4 गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल भी जीता था।
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पीटी उषा ने खेल से रिटायरमेंट के बाद उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स की शुरुआत की, जो युवाओं को वर्ल्ड लेवल की सुविधाएं दिलाता है। यहां से कई युवाएं इंटरनेशनल टूर्नामेंट्स में मेडल जीतने के लिए आगे बढ़े हैं।
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