Home Loan: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जिससे होम लोन लेने वालों को बड़ी राहत मिली है। 1 अक्टूबर 2019 के बाद लिए गए फ्लोटिंग रेट होम लोन सीधे रेपो रेट से जुड़े होते हैं, इसलिए इस कटौती से ब्याज दरें कम होंगी और उधारकर्ताओं को फायदा होगा। आइए समझते हैं कि इसका आपके होम लोन और बचत पर क्या असर पड़ेगा।
Home Loan पर रेपो रेट कट का असर
जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंक अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर का लाभ देने के लिए बाध्य होते हैं। हालांकि, यह लाभ केवल एक्सटर्नल बेंचमार्क से जुड़े फ्लोटिंग रेट लोन पर ही मिलता है। अगर किसी का Home Loan पुराना है और MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) से जुड़ा है, तो उन्हें लोन रीफाइनेंस करने पर विचार करना चाहिए, ताकि वे कम ब्याज दर का फायदा उठा सकें। बैंक हर तीन महीने में ब्याज दर को रीसेट करते हैं, जिससे धीरे-धीरे उधारकर्ताओं को इस कटौती का लाभ मिलता है। इससे EMI कम हो सकती है या लोन की अवधि घट सकती है, जो बैंकों की नीति पर निर्भर करता है।
ब्याज दर में कमी से कितनी बचत होगी?
रेपो रेट कटौती से कुल ब्याज भुगतान कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी ने 75 लाख रूपये का होम लोन 9% ब्याज दर पर 20 साल के लिए लिया है, और 36 महीनों बाद ब्याज दर घटकर 8.75% हो जाती है, तो, 4.97 लाख रूपये की बचत होगी। लोन 7 महीने पहले खत्म हो जाएगा। अगर यह कटौती 24 महीने में होती है, तो ब्याज भुगतान में 5.8 लाख रूपये की बचत होगी और लोन 8 महीने पहले खत्म हो जाएगा।
अब उधारकर्ताओं को क्या करना चाहिए?
अगर आपका फ्लोटिंग रेट लोन है, तो बैंक से संपर्क कर नई ब्याज दर लागू होने की जानकारी लें।
अगर Home Loan MCLR से जुड़ा है, तो एक्सटर्नल बेंचमार्क वाले लोन में स्विच करने पर विचार करें। RBI की घोषणाओं पर नजर रखें, क्योंकि रेपो रेट में बदलाव सीधे होम लोन EMI को प्रभावित करता है। रेपो रेट कटौती से उधारकर्ताओं को कम ब्याज भुगतान और लोन अवधि घटाने का फायदा मिलता है, जिससे दीर्घकालिक वित्तीय बचत संभव होती है।