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Income Tax News: क्या भारी जुर्माने के साथ गले की फांस बनेगी घर में रखी नकदी? जानें क्या कहते हैं नए आयकर नियम

Income Tax News: नए आयकर नियम को लेकर सवालों के अंबार लग रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या घर में रखी नकदी खाताधारकों के गले की फांस और भारी जुर्माने का कारण बनेगी? आइए इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करते हैं।

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Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Income Tax News: आर्थिक मोर्चे पर सरकार कई तरह के बदलाव कर लोगों को सहुलियत देने का काम कर रही है। इसी क्रम में आयकर नियम को नवीनीकृत कर कुछ नए प्रावधान जोड़े गए। इन नए प्रावधानों को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं। लोग नए आयकर नियम को संदर्भ में रखते हुए सवालों पूछ रहे हैं कि क्या घरों में नकदी रखने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है? क्या बचत खाते से एक वर्ष में 10 लाख रुपए से अधिक निकासी करना खाताधारक के लिए गले की फांस बन सकता है? इससे इतर भी कुछ अन्य सवाल हैं जो नए आयकर नियम को केन्द्र में रखकर पूछे जा रहे हैं। ऐसे में आइए हम आपको इन सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं।

क्या भारी जुर्माने के साथ गले की फांस बनेगी घर में रखी नकदी?

इस सवाल का आसान भाषा में जवाब देते हुए सीए सार्थक आहूजा ने सब कुछ स्पष्ट किया है। निवेश बैंकर आहूजा ने बताया कि केन्द्र की ओर से देश के विभिन्न हिस्सों में तलाशी के दौरान मिलने वाली बेहिसाब धनराशि पर अंकुश लगाने के लिए कानूनों सख्त किए गए हैं। इसके तहत अगर आयकर विभाग को आपके घर से ज्यादा नकदी मिलती है और उसका कोई कारण नहीं बता सकते, तो आप पर लगने वाली जुर्माने की रकम बहुत ज़्यादा हो सकती है। आयकर विभाग बेहिसाब नकदी की रकम पाए जाने पर 84 फीसदी तक जुर्माना ठोंक सकता है। इसमें मूल कर, अधिभार, उपकर और जुर्माने की रकम शामिल है।

पते की बात ये है कि एक वर्ष में बचत खाते से 10 लाख रुपए से अधिक नकदी निकालने की जानकारी बैंक ही आयकर विभाग को देगी। यानी अगर आप एक वर्ष में अपने बचत खाते से 10 लाख रुपए से अधिक की निकासी करते हैं, तो बैंक आयकर विभाग तक इसकी जानकारी पहुंचा देगा और किसी प्रकार से भी संदिग्ध लगने पर खाताधारक के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। आयकर विभाग के नए नियम में इसका जिक्र साफ है।

संदिग्ध हालात में आसानी से हो सकेगी कार्रवाई!

दरअसल, नए आयकर नियम को लोगों के हित का ध्यान रखते हुए ही बनाया गया है। इसके तहत किसी भी संदिग्ध लेन-देन की स्थिति में कार्रवाई आसान होगी। आसान भाषा में समझें तो बैंक, भुगतान ऐप या अन्य वित्तीय संस्थान नियमित रूप से आयकर विभाग के साथ डेटा साझा करते हैं। ऐसे में यदि कोई शख्स संदिग्ध लेन-देन करता है, तो विभाग को इसकी जानकारी तुरंत हो जाती है। ऐसी स्थिति में कार्रवाई को रफ्तार देना आसान होगा। यदि कोई खाताधारक लेन-देन के संबंध में स्पष्ट जवाब नहीं दे पाते, तो उनके खिलाफ अग्रिम कार्रवाई की जा सकती है।

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