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LIC: क्या भ्रामक है वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट? एलआईसी द्वारा अडानी समूह में निवेश को लेकर क्यों मचा बवाल? बीमा कंपनी का पक्ष जान समझ आएगा मामला

LIC ने वाशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट का खंडन किया है जिसमें बीमा कंपनी द्वारा बाहरी दबाव के कारण अडानी समूह में निवेश का जिक्र है।

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Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

LIC: सियासी हल्कों से लेकर उद्योग जगत के गलियारों में गौतम अडानी और एलआईसी के सांठ-गांठ को लेकर कई तरह की खबरें चल रही हैं। दरअसल, विदेशी मीडिया समूह वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें पॉलिसी धारकों के पैसों का इस्तेमाल अडानी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए बताया गया है। इससे इतर भी तमाम अन्य आरोप हैं जिनको लेकर हलचल मची है। हालांकि, एलआईसी ने वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को भ्रामक बताते हुए बेबाकी से अपना पक्ष रखा है। एलआईसी की ओर से स्पष्ट किया गया है कि कंपनी अपने निवेश से जुड़े सभी फैसले स्वतंत्र रूप से लेती है। ऐसे में वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पूरी तरह से भ्रामक है।

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट पर LIC की प्रतिक्रिया

एलआईसी इंडिया की ओर से आधिकारिक रूप से पोस्ट जारी कर वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को नकारा गया है। एलआईसी इंडिया का साफ तौर पर कहना है कि “बीमा कंपनी द्वारा किए गए सभी निवेश ईमानदारी और उचित परिश्रम के साथ किए गए हैं।” पत्र जारी कर बीमा कंपनी ने साफ तौर पर कहा है कि कि ऐसा कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है जिसमें अडानी समूह की कंपनियों में पैसा लगाने का कोई रोडमैप हो। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के माध्यम से लगाए गए सभी आरोप झूठे, निराधार और सच्चाई से बहुत दूर की बाते हैं। ऐसे में ये स्पष्ट है कि वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट भ्रामक है।

अडानी समूह में निवेश से जुड़े दावे को लेकर मचा बवाल!

दरअसल, विदेशी मीडिया समूह वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें एनआईसी पर अनियमितता के साथ अडानी ग्रुप में निवेश का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक एलआईसी ने पॉलिसी धारकों का करीब 33000 करोड़ रुपया अडानी ग्रुप में निवेश कर उसे फायदा पहुंचाया है। इस दावे को लेकर सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है।

कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने विदेशी मीडिया समूह की पोस्ट का जिक्र कर सरकार के घेर लिया है। विपक्ष इस मामले को तुल पकड़ता देख सरकार को कटघरे में घेरने का काम कर रही है। हालांकि, बीमा कंपनी ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए निवेश के लिए कोई बाहरी दबाव या गुप्त योजना ना होने की बात कही है जिससे मामला ठंडा पड़ता नजर आ रहा है।

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