Rahul Gandhi: राजधानी में एक अहम बैठक संपन्न हुई है जिसको लेकर सियासी पारा चढ़ता नजर आ रहा है। पूरा माजरा मुख्य सूचना आयुक्त और केंद्रीय सतर्कता आयोग में सतर्कता आयुक्त के चयन से जुड़ा है। इसको लेकर पीएम मोदी, राहुल गांधी और अमित शाह प्रधानमंत्री कार्यालय में मिले। जानकारी के मुताबिक तीनों के बीच करीब 88 मिनट तक बातचीत हुई।
बातचीत का केन्द्र केंद्रीय सतर्कता आयोग में आयुक्त की नियुक्ति रहा है। पीएम मोदी और राहुल गांधी के साथ गृह मंत्री अमित शाह की बैठक में मौजूदगी राजधानी का सियासी पारा बढ़ा रही है। एक ओर जहां संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के दौरान गहमा-गहमी का दौर जारी है। वहीं दूसरी ओर पीएमओ ऑफिस में हुई हाई लेवल बैठक को लेकर हलचल तेज हो गई है।
सदन में गहमा-गहमी के बीच पीएम मोदी, राहुल गांधी की बैठक से तेज हुई हलचल!
संसद की शीतकालीन सत्र की कार्यवाही के बीच गहमा-गहमी का दौर जारी है। सदन में पहले वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान बहस हुई, फिर इलेक्टोरल रिफॉर्म पर पक्ष-विपक्ष के सांसदों ने अपने मत रखे। इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह के तल्ख रुख भी सामने आए जब उन्होंने राहुल गांधी को जवाब के लिए इंतजार करने को कहा।
इससे इतर जब पीएम मोदी का संबोधन हो रहा था, तब भी विपक्ष सदन में हो-हल्ला करता रहा। ऐसे में गहमा-गहमी के बीच ही पीएमओ कार्यालय में हुई बैठक अहम मानी जा रही है। सदन से लेकर चुनावी मंचों तक से एक-दूसरे के खिलाफ भर-भरकर बोलने वाले पीएम मोदी और राहुल गांधी की बैठक से हलचल भी तेज हो गई है। तमाम तरह की कयासबाजी के साथ चर्चाओं का दौर भी जारी है।
अमित शाह की मौजूदगी ने बढ़ाया राजधानी का सियासी पारा!
पीएमओ कार्यालत में केंद्रीय सूचना आयोग में खाली चल रहे आठ पदों पर नियुक्ति के लिए चर्चा हुई। इसमें पीएम मोदी, राहुल गांधी और अमित शाह शामिल रहे। चूकी प्रधानमंत्री चयन समिति के अध्यक्ष होते हैं और समिति में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री की ओर से नामित एक केंद्रीय मंत्री भी शामिल होते हैं। इसी लिहाज से अमित शाह भी बैठक में शामिल हुए।
तल्ख अदा के लिए पहचान छोड़ चुके अमित शाह का राहुल गांधी के साथ वन-टू-वन मीटिंग में शामिल होना कई तरह की चर्चाओं को हवा दे रहा है। यूं तो प्रधानमंत्री कक्ष में हुई इस बैठक में क्या फैसला लिया गया, अभी इसकी डिटेल्स सामने नहीं आई है। हालांकि, दावा किया जा रहा है कि बातचीत का केन्द्र सूचना आयोग में खाली आयुक्त के पदों को भरना है। इस बैठक ने राजधानी का सियासी पारा बढ़ा दिया है और तमाम तरह की चर्चाएं चल रही हैं।






