Vande Mataram: देश के लगभग हर हिस्सों में आज राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ पर जश्न का माहौल है। इस दौरान चहुंओर वंदे मातरम की गूंज सुनाई दे रही है। हालांकि, कश्मीर से राष्ट्रीय गीत के खिलाफ उठ रही एक आवाज मानों रंग में भंग करने का काम कर रही है। कश्मीरी इस्लामिक संगठन मुत्तहिदा मजलिस ए उलेमा से जुड़े मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने जम्मू-कश्मीर के हर सरकारी स्कूलों में वंदे मातरम को अनिवार्य करने पर घोर आपत्ति जताई है। इस बगावती सुर के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में मुसलमानों को वंदे मातरम गाने से एतराज है? राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ पर उठ रहे इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश की जाएगी।
क्या मुसलमानों को Vande Mataram गाने से है एतराज?
इस सवाल का जवाब लगभग सभी को पता होगा। बचपन में स्कूलों में हमारे सभी सहपाठी एक धुन में राष्ट्रीय गीत गाया करते थे। ये वाकया सभी को याद होगा। इससे इतर भी राष्ट्रीय पर्वों पर या प्रतिदिन प्रार्थना या अन्य मौकों पर मुस्लिम समुदाय के लोग बगैर किसी एतराज के वंदे मातरम गुनगुनाते हैं। ऐसे में मुत्तहिदा मजलिस ए उलेमा संगठन के एक मौलवी की आपत्ति को पूरे मुस्लिम समुदाय पर लागू करना उनके साथ अन्याय होगा।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने खुलकर उस कश्मीरी मौलाना की मुखालिफत की है जो वंदे मातरम को इस्लाम के खिलाफ बता रहा है। एमआरएम की ओर से राष्ट्रीय संयोजक एसके मुद्दीन ने कहा है कि वंदे मातरम का पाठ करना इस्लाम के खिलाफ नहीं है और जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वे मुस्लिम समुदाय को गुमराह कर रहे हैं। ये साफ तौर पर दर्शाता है राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम से मुसलमानों को किसी भी तरह का एतराज नहीं है। कौम के कुछ चुनिंदे लोग हैं जिनके कारण पूरे समुदाय पर सवाल उठ रहे हैं।
राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ पर रंग में भंग कर रही कश्मीर से उठी आवाज
जहां एक ओर देशभर में राष्ट्रीय गीत की 150वीं वर्षगांठ धूम-धाम से मनाई जा रही है। वहीं दूसरी ओर कश्मीर से मुत्तहिदा मजलिस ए उलेमा द्वारा वंदे मातरम की अनिवार्यता पर आपत्ति जताना रंग में भंग का काम कर रही है। इस्लामिक संगठन से जुड़े मौलाना उमर फारूक का वंदे मातरम की अनिवार्यता का विरोध करना उनकी कुंठित मानसिकता को दर्शाता है।
पीएम मोदी आज 7 नवंबर को दिल्ली में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया जाएगा। आज से अगले वर्ष 6 नवंबर तक देश के विभिन्न हिस्सों में तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ऐसे समय पर कश्मीर से उठ रही बगावत की आवाज निश्चित रूप से विचारणीय है जिसको लेकर सनसनी मची है।
