Bengal SIR: बिहार के बाद अब बंगाल में भी चुनाव से पूर्व एसआईआर बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। सूबे की सत्तारुढ़ दल टीएमसी के तमाम नेता जहां समय-समय पर एसआईआर की खामियों का जिक्र कर रहे हैं। वहीं विपक्षी दल बीजेपी से जुड़े विधायक असीम सरकार का रुख भी थोड़ा पार्टी लाइन से इतर है। असीम सरकार एसआईआर को लेकर छिड़े संग्राम के बीच सीएए प्रावधान को लेकर अदालत जाने की तैयारी मे हैं। असीम सरकार ने पिछले सप्ताह ही बयान जारी कर कहा था कि अगर विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मटुआ समुदाय से नागरिकता मांगी गई, तो समुदाय बीजेपी को छोड़ेगा नहीं। इसके बाद उनका रुख पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। ये सारे ऐसे सियासी घटनाक्रम हैं जो 2026 में होने वाले बंगाल चुनाव से पहले सूबे में हलचल तेज कर रहे हैं।
क्या एसआईआर पर विधायक असीम सरकार का रुख बढ़ा सकती है मुश्किलें? – Bengal SIR
बीजेपी विधायक असीम सरकार बंगाल में होने वाले एसआईआर के पक्षधर हैं। हालांकि, उनका कहना है कि चुनाव आयोग नागरिकता संशोधन अधिनियम के दो प्रावधानों का सम्मान करने का काम करे। इसमें सीएए की धारा 6बी का जिक्र है जिसके तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति को “इस आधार पर अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा कि उसके खिलाफ कार्यवाही लंबित है और केंद्र सरकार या उसके द्वारा इस संबंध में निर्दिष्ट प्राधिकारी इस आधार पर उसके आवेदन को अस्वीकार नहीं करेंगे। अगर वह इस धारा के तहत नागरिकता प्रदान करने के लिए योग्य पाया जाता है। इसी धारा के तहत एक अन्य प्रावधान में कहा गया है कि आवेदन करने वाले व्यक्ति को अपने उन अधिकारों और विशेषाधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा, जिनका वह आवेदन प्राप्त होने की तिथि पर हकदार था।
इन दो प्रावधानों को लेकर विधायक असीम सरकार कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं जिसको लेकर बंगाल में सियासी हलचल तेज हो गई है। दावा किया जा रहा है कि असीम सरकार का रुख बीजेपी के लिए थोड़े मुश्किल भरे हालात पैदा कर सकता है।
विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल में तेज हुई सियासी हलचल
बंगाल में वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव होंगे। उससे पूर्व सूबे में सियासी हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि बंगाल में एसआईआर की प्रक्रिया शुरू की जाए। उससे पूर्व टीएमसी के तमाम नेता अलग-अलग तर्कों के साथ एसआईआर की खामियों का जिक्र कर निशाना साध रहे हैं। वहीं बीजेपी विधायक असीम सरकार का ये कहना कि अगर विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत मटुआ समुदाय से नागरिकता मांगी गई, तो समुदाय बीजेपी को छोड़ेगा नहीं नए सिरे से सियासी हलचल तेज करता है। इस बयान पर मचे संग्राम के बाद असीम सरकार का कोर्ट जाने की तैयारी करना चर्चा का विषय बना हुआ है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बंगाल एसआईआर से जुड़े मुद्दे पर आगे क्या होता है।
