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Bihar News: गर्दिश में सितारे! Rahul Gandhi, Tejashwi के बिहार बंद को फीका कर गया ट्रेड यूनियन का कॉल, जनता को साधने में कितना सफल महागठबंधन?

Bihar News: विपक्षी धड़े के 'बिहार बंद' आह्वान के बीच ट्रेड यूनियनों के 'भारत बंद' ने मजमा लूट लिया है। सवाल है कि चुनाव आयोग के खिलाफ सड़क पर उतरा महागठबंधन जनता को साधने में किस हद तक सफल हुआ है।

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Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Bihar News: मौका था चुनाव आयोग के खिलाफ बिहार बंद का आह्वान कर जनता के बीच संदेश प्रसारित करने का। हालांकि, तभी ट्रेड यूनियन का ‘भारत बंद’ कॉल सामने आया और सारा ध्यान महागठबंधन की मुहिम से हटकर देशव्यापी घटनाक्रमों पर चला गया। एक तो विपक्ष के सितारे पहली ही गर्दिश में बताए जाते रहे हैं। उपर से जब 9 जुलाई यानी आज बिहार बंद के तहत जनता के बीच चुनाव आयोग की कथित दमनकारी नीति पहुंचाने की मुहिम शुरू हुई, तो निजीकरण, मजदूर-विरोधी और कॉरपोरेट-समर्थक नीतियों का आरोप लगाकर ट्रेड यूनियनों ने आज ही 9 जुलाई भारत बंद का ऐलान कर दिया।

अब हुआ ये है कि लोगों का ध्यान सिर्फ और सिर्फ बिहार से हटकर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, केरल, तमिलनाडु जैसे राज्यों में भारत बंद के असर की ओर आकर्षित हो रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या महागठबंधन जनता को उस हद तक साधने में सफल रही है जितनी तैयारी थी। कहीं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की रणनीति का असर उम्मीद के मुताबिक कम तो नहीं रह गया? ये कुछ सवाल हैं जो ‘बिहार बंद’ और ‘भारत बंद’ के आह्वान को मद्देनजर रखते हुए उठ रहे हैं। (Bihar News)

Rahul Gandhi, Tejashwi Yadav के बिहार बंद को फीका कर गया ट्रेड यूनियन का कॉल!

जहानाबाद हो या पटना, मधेपुरा, पूर्णिया समेत बिहार के विभिन्न हिस्सों की सड़कें, ज्यादातर इलाकों में ट्रेड यूनियनों के साथ महागठबंधन के कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। महागठबंधन जहां चुनाव आयोग के ‘वोटर लिस्ट सत्यापन अभियान’ के खिलाफ बिहार बंद का हिस्सा बना है। वहीं ट्रेड यूनयनों का ‘भारत बंद’ ऐलान अन्य कारणों से है। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, वाम दल और VIP समेत अन्य कुछ महागठबंधन के धड़े बिहार बंद का ऐलान कर जनता को चुनाव आयोग की कथित दमनकारी नीति और ‘लोकतंत्र के साथ खिलवाड़’ जैसे मुद्दे पर लामबंद कर रहे थे। ये कहना अतिश्योक्ति होगी कि पटना से लेकर मधेपुरा, छपरा, पश्चिमी चंपारण, जहानाबाद, औरंगाबाद, पूर्णिया, दरभंगा समेत अन्य इलाकों में सड़कों पर उतरे महागठबंधन के नेता जनता को साधने में सफल रहे हैं।

दरअसल, महागठबंधन के बंद आह्वान के बीच ही ट्रेड यूनियनों ने केन्द्र सरकार के खिलाफ भारत बंद का आह्वान कर दिया है। भारत बंद का असर पश्चिम बंदाल, बिहार, तमिलनाडु, ओडिशा, झारखंड, केरल समेत अन्य कई राज्यों में नजर आया। जहां-तहां सार्वजनिक परिवहन के माध्यम प्रभावित हुए हैं। कुछ जगहों पर ट्रेन रोके जाने की खबर है। ऐसे में महागठबंधन की जो कोशिश थी कि ‘बिहार बंद’ का आह्वान कर पूरा लाइमलाइट लिया जाएगा। उस पर फिलहाल ट्रेड यूनियनों के ‘भारत बंद’ कॉल ने डेंट मार दिया है। बिहार के साथ देश के अन्य राज्यों में बिहार बंद के साथ भारत बंद की चर्चा भी संयुक्त रूप से हो रही है। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का बंद कॉल ट्रेड यूनियनों के कारण थोड़ा फीका पड़ गया है।

जनता को साधने में कितना सफल महागठबंधन?

ये एक ऐसा सवाल है जिसका पुख्ता रूप से जवाब नहीं दिया जा सकता है। महागठबंधन के तमाम नेता सड़कों पर हैं और ‘चुनाव आयोग होश में आओ’ जैसे नारे लगाकर जनता के बीच अहम संदेश देने का काम कर रहे हैं। दरअसल, ECI ने बिहार में वोटर लिस्ट सत्यापन का अभियान चलाकर तरह-तरह के दस्तावेज लोगों से मांगे थे। इसका व्यापत पैमाने पर विरोध हुआ जिस कारण चुनाव आयोग को अपने फैसले में संशोधन करना पड़ा। अब स्थिति ये है कि चुनाव आयोग बैकफुट पर है और बिहार में RJD, कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी समेत अन्य विपक्षी दल मोर्चा खोले हैं। चुनाव आयोग की कथित दमनकारी नीतियों के खिलाफ तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, पप्पू यादव, राजेश राम और मुकेश सहनी समेत तमाम विपक्षी नेता जनता तक संदेश पहुंचाने के लिए प्रयासरत हैं।

विपक्ष की ये कोशिश किस हद तक कामयाब हुई है, ये तो चुनावी परिणाम आने के बाद ही पता चल सकेगा। हालांकि, ये जरूर कहा जा सकता है कि महागठबंधन के ‘बिहार बंद’ की चर्चा चहुंओर हो रही है। ऐसे में सड़कों पर उतरा विपक्ष कहीं ना कहीं जनता को साधने में आंशिक ही सही, लेकिन संदेश पहुंचा चुका है।

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