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EC के लिए सिरदर्द बना Bihar Voter List Verification! ‘बंद’ का ऐलान कर महागठबंधन ने बढ़ाई चुनौती, चर्चा में Tejashwi के सीधे सवाल

सुर्खियों में छाए Bihar Voter List Verification मुहिम को लेकर चुनाव आयोग की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. महागठबंधन ने तो EC के इस कदम को दमनकारी नीति बताते हुए 9 जुलाई को 'बिहार बंद' का आह्वान किया है। तेजस्वी यादव, पप्पू यादव, कन्हैया कुमार, मुकेश सहनी और असदुद्दीन ओवैसी समेत तमाम विपक्षी नेता लगातार वोटर लिस्ट सत्यापन अभियान पर सवाल उठा रहे हैं।

Bihar Voter List Verification
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Bihar Voter List Verification: बिहार के गांव-देहात से लेकर शहरों तक में इन दिनों अधिकारियों का जत्था पहुंच रहा है। इसकी खास वजह है वोटर लिस्ट को लेकर जारी सत्यापन प्रक्रिया। बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन प्रोसेस को लेकर चुनाव आयोग की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। लंबे सवालों की झड़ी लगा चुकी महागठबंधन ने EC के इस फरमान के खिलाफ 9 जुलाई को ‘बिहार बंद’ का आह्वान किया है। आपसी मतभेद को भुलाकर बिहार विपक्ष के तमाम नेता Bihar Voter List Verification मुहिम के खिलाफ प्रदर्शन की बात कर रहे हैं। RJD नेता तेजस्वी यादव ने तो अखबार में लेख लिखकर चुनाव आयोग से कई सीधे सवाल पूछे हैं जिसको लेकर चर्चा तेज है। तेजस्वी यादव से इतर लालू यादव, प्रशांत किशोर, सांसद पप्पू यादव, राजेश राम और असदुद्दीन ओवैसी समेत तमाम अन्य नेता चुनाव आयोग की मुख़ालिफत कर रहे हैं।

Bihar Voter List Verification मुहिम के खिलाफ बिहार बंद का ऐलान!

आपसी मतभेद को भुलाकर विपक्ष के तमाम नेता चुनाव आयोग के खिलाफ सड़कों पर उतरने की रणनीति बना चुके हैं। बिहार वोटर लिस्ट वेरिफिकेशन मुहिम के खिलाफ आवाज अब और तेज हो गई है। लालू यादव, तेजस्वी यादव, सांसद पप्पू यादव, प्रशांत किशोर, असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य तमाम क्षेत्रीय नेताओं ने वोटर वेरिफिकेशन ड्राइव को दमनकारी नीति बताया है। महागठबंधन के नेताओं ने 9 जुलाई को Bihar Voter List Verification मुहिम के खिलाफ ‘राज्य बंद’ का आह्वान किया है। इस दौरान बिहार को बंद रखकर चुनाव आयोग के खिलाफ सांकेतिक विरोध जताया जाएगा। विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले EC के सत्यापन अभियान से गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। हालांकि, EC लगातार आरोपों को खारिज करते हुए एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की निगरानी में मुहिम को रफ्तार दे रहा है।

चर्चा में छाए EC से पूछे गए तेजस्वी यादव के सीधे सवाल

अखबार में लेख लिखने की बात हो, या सोशल मीडिया पर रोष व्यक्त करने की। बिहार विपक्ष के प्रमुख नेता तेजस्वी यादव इस मोर्चे पर सबसे आगे नजर आते हैं। Bihar Voter List Verification कैंपेन के खिलाफ पूर्व डिप्टी सीएम ने लंबा चौड़ा लेख लिखा। चुनाव आयोग से सीधा सवाल पूछते हुए Tejashwi Yadav लिखते हैं-

“क्या भारतीय निर्वाचन आयोग को केवल वही 11 दस्तावेज स्वीकार करने का विशेषाधिकार प्राप्त है? सरकार द्वारा जारी अन्य दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, इत्यादि मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया में अस्वीकार्य क्यों है, भले वे पहचान या निवास सिद्ध करें? आधार कार्ड जारी करते वक्त सरकार आपकी आँखों की पुतली, फ़िंगरप्रिंट्स सहित पहचान और आवास के कई दस्तावेज माँगती है तभी आधार कार्ड बनता है। फिर सरकार अपने द्वारा बनाए गए आधार कार्ड को क्यों छाँट रही है? यदि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम अथवा संविधान में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है तो यह 11 दस्तावेजों की सूची किस प्रक्रिया से तय हुई? क्या यह न्यायसंगत है? बिहार के 4 करोड़ से अधिक निवासी अन्य राज्यों में स्थायी और अस्थायी कार्य करते है। क्या 18 दिन में वो सत्यापन कर पाएंगे? क्या सरकारी स्तर पर उन्हें बिहार लाने की योजना है अथवा उनके वोट काटना उद्देश्य है?”

तेजस्वी यादव ने Bihar Voter List Verification कैंपेन के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाकर कई अन्य अहम सवाल भी उठाए हैं जिसको लेकर चर्चा तेज है।

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