Budget Session: ‘न फिजाओं में हलचल, न हवाओं में गर्मजोशी। ये सन्नाटा महज़ इत्तेफाक है या तूफान से पहले की खामोशी है।’ दरअसल, राजधानी दिल्ली में बजट सेशन से पूर्व सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई। इस दौरान सत्तारुढ़ दल के साथ विपक्ष के तमाम नेता बैठक का हिस्सा बने। सर्वदलीय बैठक के दौरान ही विपक्षी नेताओं के हाव-भाव से कुछ अहम संकेत भी मिले हैं। दावा किया जा रहा है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान गठबंधन में पड़ी दरार के बाद Budget Session में भी विपक्ष बंटा नजर आ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो Congress की सिरदर्दी बढ़ सकती है। हालांकि, ये कयासबाजी फिलवक्त राजनीतिक समीकरण को देखकर की जा रही है। आगामी दिनों में संसद के बजट सत्र के दौरान सारी तस्वीरें साफ होंगी और नजर आएगा कि विपक्ष किस रणनीति के तहत सत्र का हिस्सा बनेगा।
Budget Session से पहले सर्वदलीय बैठक!
संसद सत्र का जिक्र होते ही ‘हंगामा’ का संदर्भ ज़हन में आ जाता है। दरअसल, बीते कुछ वर्षों से Parliament Session का ज्यादातर वक्त हंगामे की भेंट चढ़ता नजर आया है। यही वजह है कि ‘बजट सेशन’ से पहले सर्वदलीय बैठक पर सबकी निगाहे टिकी थीं। सर्वदलीय बैठक के दौरान केन्द्रीय मंत्री जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, किरेण रिजिजू के अलावा विपक्ष से रामगोपाल यादव, जयराम रमेश, मनोज झा जैसे नेता मौजूद रहे। Budget Session से पूर्व आयोजित इस बैठक में सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से करने पर चर्चा हुई। सर्वदलीय बैठक के दौरान सारी चर्चाएं बेहतर ढ़ंग से हुईं जिसके बाद ‘तूफान से पहले शांति’ वाली उपमा दी जा रही है।
बजट सेशन में विपक्ष की रणनीति से क्या बढ़ेगी Congress की सिरदर्दी?
विपक्षी दलों का धड़ा मतभेद का शिकार है। बिहार से लेकर दिल्ली, बंगाल, महाराष्ट्र, यूपी तक इसकी झलक देखी जा चुकी है। यही वजह है कि Budget Session से पूर्व विपक्षी खेमे की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी हैं। आज सर्वदलीय बैठक हुई, तो विपक्षी दलों के नेता एक-दूजे से दूरी बनाते और बैठक में शिरकत करते नजर आए। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि शीतकालीन सत्र के जैसे ही बजट सेशन के दौरान विपक्ष, गुटों में बंटा नजर आ सकता है। दरअसल, शीतकालीन सत्र के दौरान भी कांग्रेस अडानी मुद्दे पर अकेले पड़ गई थी। ऐसे में यदि क्षेत्रीय दलों ने विपक्षी दल कांग्रेस से इतर अपनी रणनीति बनाई, तो ये पार्टी के लिए बड़ी सिरदर्दी हो सकती है। फिलहाल, हमें Budget Session से पूर्व विपक्षी खेमे की ओर से आ रही प्रतिक्रियाओं पर नजर टिकाना होगा, ताकि उनकी रणनीति से जुड़ी तस्वीर साफ हो सके।