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Afghanistan: तालिबानी छात्रों को मिली बड़ी राहत, भारतीय बोर्ड के इन स्कूलों में मिलेगा दाखिला

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Afghanistan: तालिबान में महिलाओं और बच्चों की क्या हालत है इससे तो सब वाकिफ है। इसी कड़ी में दिल्ली में अफगान बच्चों के लिए अफगानिस्तान सरकार की ओर से संचालित किए गए स्कूल अब बंद होने की कगार पर आ गए हैं। बता दें कि, अफगानिस्तान सरकार द्वारा संचालित किए गए इन स्कूलों के बंद होने की वजह स्कूल को फंड न मिलना है। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आने के बाद इन स्कूलों के लिए फंड देना बंद कर दिया गया है। इसी के साथ इन स्कूलों की मान्यता भी वापस ले ली है।

भारत के स्कूलों में होगा दाखिला

तालिबानी सरकार द्वारा अफगान बच्चों के लिए संचालित स्कूलों की मान्यता को वापस लेने के बाद भारत सरकार इन छात्रों को भारतीय बोर्ड के स्कूलों में स्थानांतरित करेगी। भारत सरकार ने ऐसा कदम इसलिए उठाया है क्योंकि वह चाहती है कि बच्चों की पढ़ाई ना रुके और वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखें। इसी कड़ी में विदेश मंत्रालय ने भोगल ने एक भवन से चल रहे सैयद जमालुद्दीन अफगान हाई स्कूल के लगभग 300 छात्रों की मदद करने के लिए उन्हें अन्य भारतीय स्कूलों में स्थानांतरित करने के लिए कहा है।

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छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए शिफ्ट किया जा रहा

भारत में अफगान शरणार्थियों के बच्चों के लिए यह स्कूल 1994 में भारत में गया था। इनको भारत में रह रहे अफगान शरणार्थियों के बच्चों के लिए एक शैक्षिक केंद्र के रूप में शुरू किया गया था। 2008 में अफगान शरणार्थियों के लिए प्राथमिक विद्यालय और 2017 में एक उच्च विद्यालय बनाया गया था। एक वरिष्ठ एजेंसी के अनुसार दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास के प्रथम सचिव और स्कूल बोर्ड के सदस्य सैयद जियाउल्लाह हाशिमी ने कहा कि तालिबान से पहले, स्कूल को अफगान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त थी, जो बोर्ड कक्षाओं के लिए प्रमाण पत्र जारी करती थी। उन्होंने कहा कि, तालिबान के अधिग्रहण के बाद, अफगान दूतावास किसी भी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रहा था। छात्रों के बेहतर भविष्य के लिए शिफ्ट किया जा रहा है। हम उन शिक्षकों के लिए अन्य नौकरियों की व्यवस्था करने की कोशिश करेंगे जो बेरोजगार होंगे।

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