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Delhi Assembly Election 2025 से पहले वोटर लिस्ट पर छिड़ा संग्राम! AAP ने निर्वाचन आयोग के सामने पेश किया मतदाताओं का आंकड़ा

Delhi Assembly Election 2025 की तारीखों के ऐलान से पहले AAP ने मतदाताओं से जुड़ा आंकड़ा पेश करते हुए चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे हैं।

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Delhi Assembly Election 2025
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक)

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली में हर सीट पर औसतन 6400 से ज्यादा जोड़े-घटाए गये हैं नाम, क्या होगा अंजाम? दिल्ली में एक-एक वोट के लिए लड़ाई है, किलेबंदी है। यह लड़ाई चुनाव की घोषणा से बहुत पहले मतदाता सूची तैयार करने के दौरान ही शुरू हो गयी थी। अपने समर्थकों के वोट कट न जाएं, इसके लिए आम आदमी पार्टी मुस्तैद दिखी, तो बीजेपी ने खुलकर मतदाता सूची से ‘घुसपैठियों’ के नाम डिलीट कराने का अभियान चलाया।

आम आदमी पार्टी ने ‘लाइव एविडेंस’ यानी ‘जिन्दा सबूत’ पेश किए और बताया कि उनके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाए गये हैं। चुनाव आयोग से आप का डेलिगेशन भी मिला। इसके बावजूद जो अंतिम मतदाता सूची आयी है उस पर नये सिरे से सवाल उठ रहे हैं और मुख्यमंत्री आतिशी ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर आपत्ति जताई है। यह मुद्दा गरम रहने वाला है।

Delhi Assembly Election 2025 से पहले वोटर लिस्ट पर छिड़ा संग्राम!

आप का कहना है कि चुनाव आयोग ने जो मतदाता सूची 6 जनवरी को जारी की है उसके मुताबिक दिल्ली में 4 जून को संपन्न लोकसभा चुनाव के मुकाबले 3.08 लाख से ज्यादा मतदाता बढ़ गये हैं। 1 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 मतदाता रजिस्टर्ड हैं। इनमें पुरुष 83 लाख 49 हजार 645 और महिलाएं 71 लाख 73 हजार 952 वोटर हैं। 1261 मतदाता थर्ड जेंडर हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या इस प्रकार है-

29 अक्टूबर 20246 जनवरी 2025  बढ़े वोट
पुरुष 82,78,77283,49,64570,873
स्त्री 70,77,52671,73,95296,426
थर्ड जेंडर1231126130
कुल1,53,57,5291,55,24,8581,67,329

सिर्फ दो महीने में 1.67 लाख वोटों का अंतर और लोकसभा चुनाव के मुकाबले 3.08 लाख का अंतर चौंकाता है। मतदाता सूची में नाम जोड़ने और घटाने के ‘संगठित प्रयास’ को यह दर्शाता है। इससे पहले कि इस पर आम आदमी पार्टी की ओर से संगठित प्रतिरोध की और इससे जुड़ी राजनीति की बात करें यह गौर करना जरूरी है कि ये आंकड़े कितने महत्वपूर्ण हैं। विधानसभा चुनाव नतीजों को ये आंकड़े प्रभावित करेंगे, लेकिन किस सीमा तक?

दिल्ली एसेंबली इलेक्शन 2025 से पहले AAP ने किया महत्वपूर्ण बातों का जिक्र

चुनाव आयोग की ओर से बताए गये आंकड़ों पर गौर करते हुए कुछ महत्वपूर्ण बात नोट करें। 70 विधानसभा सीटों पर औसतन बीते दो माह में 2,390 वोटर बढ़ गये। अगर 4 जून 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या से तुलना करें तो दिल्ली में 4400 मतदाता प्रति विधानसभा क्षेत्र बढ़ गये हैं। चुनाव आयोग ने यह भी बताया है कि 1.41 लाख वोटरों के नाम दिल्ली में मतदाता सूची से हटाए गये हैं। यह आंकड़ा और भी महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि औसतन दो हजार से ज्यादा वोटरों के नाम हर विधानसभा में हटाए गये हैं।

नीचे तालिका देकर बताया जा रहा है कि विगत विधानसभा चुनाव में 10 हजार से कम अंतर वाली ज्यादातर सीटें आम आदमी पार्टी ने जीती थीं। 15 में से 11 सीटों पर आप को जीत मिली थी और 4 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। इन सभी 15 सीटों पर वोटों के अंतर का योग 63, 541 है जो प्रति विधानसभा 4,236 होता है। 10 हजार से कम अंतर वाली 15 सीटों में 12 पर आप और 3 पर बीजेपी को मिली थी जीत।

विधानसभा सीट वोटों का अंतरचुनावी जीतने वाली पार्टी
आदर्श नगर 1589 आप
किराड़ी5,654 आप
शालीमार बाग 3,440 आप
शकुर बस्ती 7,592 आप
नजफगढ़ 6,231आप
बिजवासन 753 आप
कस्तूरबा नगर 3,165आप
छतरपुर 3,720आप
बदरपुर 3,719बीजेपी
पटपड़गंज 3,207आप
लक्ष्मीनगर 880बीजेपी
कृष्णानगर 3,995आप
गांधीनगर 6,079 बीजेपी
शाहदरा 5,294 आप
करावल नगर 8,223 बीजेपी

जून से जनवरी आते-आते 3.08 लाख मतदाताओं का बढ़ जाना चौंकाता है। 29 अक्टूबर’24 से 6 जनवरी’ 25 के बीच 1.67 लाख वोटों का बढ़ना यह बताता है कि बढ़े हुए वोटों के आधे से अधिक आंकड़े तो आखिरी दो महीने के हैं। अगर यह मान लिया जाए कि जोड़े हुए मतदाता और हटाए गये मतदाता ‘आपत्तिजनक’ हैं और किसी एक पार्टी के पक्ष में होंगे तो इसका गणित भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। मतदाता सूची में लोकसभा चुनाव के बाद औसतन जोड़े गये नाम 4400 प्रति विधानसभा और औसतन हटाए गये नाम औसतन दो हजार प्रति विधानसभा का योग 6400 से ज्यादा वोटर प्रति विधानसभा हो जाता है। चुनाव नतीजे को व्यापक तौर पर ये आंकड़े प्रभावित करेंगे, इसे समझने के लिए सिर्फ ऊपर उल्लिखित 15 सीटों पर गौर करें। इन सीटों पर औसतन जीत-हार का अंतर 4,236 वोट है।

मतदाताओंकी संख्या को लेकर ‘आप’ ने जाहिर की चिंता!

आप का कहना है कि जब दो ध्रुवीय चुनाव हो तो किसी एक विधानसभा में 6400 से ज्यादा वोटों के फर्क का मतलब इस आंकड़े का दुगुना हो जाता है। जाहिर है कि वे सारी सीटें सीधे तौर पर प्रभावित होंगी जहां जीत-हार का अंतर 12,800 तक है। आम आदमी पार्टी को अपनी 62 सीटें बचाने के लिए इन आंकड़ों पर गौर करना होगा। केजरीवाल की जीत के अंतर से बड़ा है जोड़े-घटाए गये वोट का योग! मुख्यमंत्री आतिशी ने जो चिट्ठी चुनाव आयोग को 5 जनवरी को भेजा है उनमें खास तौर से नई दिल्ली विधानसभा का जिक्र है जहां से पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं। इसमें बताया गया है कि 29 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच 13,276 लोगों ने फॉर्म 6 भरा है जबकि 29 अक्टूबर से 16 दिसंबर के बीच 6,166 लोगों ने फॉर्म 6 भरे हैं।

फॉर्म 6 नये मतदाताओं के लिए होते हैं। इसका मतलब यह है कि अकेले नई दिल्ली में 19,442 लोगों ने वोटर के तौर पर नाम दर्ज कराने का आवेदन दिया। पत्र में बताया गया है कि नई दिल्ली में 6,166 मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाने के आवेदन दिए गये। इस तरह नई दिल्ली में कुल 25,608 वोट जोड़े और घटाए गये नजर आते हैं। नई दिल्ली विधानसभा में 29 अक्टूबर 2024 को जारी चुनाव आयोग के आंकड़े के मुताबिक 1,06,873 मतदाता थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में अरविन्द केजरीवाल ने 46,758 वोट हासिल किए थे, जबकि उनके खिलाफ बीजेपी को 25,061 और कांग्रेस को 3,220 वोट मिले थे। अरविन्द केजरीवाल ने 21,697 वोटों से जीत दर्ज की थी। इस तरह नई दिल्ली में जोड़े-घटाए गये कुल वोट इस अंतर से 3,911 ज्यादा हैं।

आयोग से समक्ष सवाल?

सवाल ये है कि क्या यही कैलकुलेशन बाकी विधानसभा सीटों पर भी आजमाए गये हैं? जीत-हार के अंतर से ज्यादा जोड़े-मिटाए गये वोट के आंकड़े बड़े चुनावी धांधली की आशंका जता रहे हैं जिसका जिक्र बारंबार आम आदमी पार्टी कर रही है। मुख्यमंत्री आतिशी ने तरुण कुमार, उषा देवी, सुनीता, विपिन, मोनिका, राज कुमार, ममता कुमारी, ज्योति, पंकज, नीरज जैसे नामों का पता के साथ उल्लेख करते हुए कहा है कि इन्हें चुनाव आयोग की ओर से सुनवाई के लिए अनगिनत नोटिस आए हैं। एक व्यक्ति को 85 नोटिस दिए गये हैं। इनमें से किसी ने भी अपना नाम डिलीट कराने का आवेदन नहीं दिया है।

आम आदमी पार्टी कह रही है कि नोटिस उनको जाना चाहिए जिन्होंने नाम मिटाने का आवेदन दिया और सुनवाई उनकी भी होनी चाहिए। वोटर का नाम मिटाने का आवेदन गलत दिया गया है तो ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी होनी चाहिए। लेकिन, चुनाव आयोग ऐसा नहीं करके उल्टी गंगा बहा रहा है।

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