Delhi Pollution: दिल्ली के लोगों को अभी भी साफ हवा का इंतजार है। जी हां, राजधानी में स्वच्छ हवा मिलना अब एप्पल आईफोन खरीदने से ज्यादा मुश्किल हो गया है। हालांकि, पिछले दो दिनों के दौरान वायु गुणवत्ता में मामूली राहत देखने को मिली है। सीपीसीबी यानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली का एक्यूआई यानी एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 329 रिकॉर्ड किया गया। अभी भी शहर में हवा का स्तर बहुत खराब कैटेगरी में बना हुआ है। मंगलवार को दिल्ली का औसत एक्यूआई 354 दर्ज किया गया था। ऐसे में प्रदूषण के स्तर में 24 घंटे के दौरान थोड़ी कमी आई है, मगर अभी भी खतरा बरकरार है।
Delhi Pollution और घने स्मॉग से कम हुई विजिबिलिटी
आईएमडी यानी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, बीते 3 दिनों से दिल्ली में घना स्मॉग छाया हुआ है। इस वजह से राजधानी में सुबह के समय काफी कम विजिबिलिटी रही। हालांकि, अभी दिल्ली समेच कई आसपास के इलाकों में घना स्मॉग बना रहने का अनुमान लगाया गया है। बुधवार को अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस रहने की आशंका जताई है। मगर दोपहर के टाइम पर तेज धूप निकलने का अनुमान लगाया गया है।
दिल्ली के प्रदूषण को कम करने के लिए भाजपा सरकार ने उठाएं कई कदम
वहीं, दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया, प्रदूषण से निपटने के लिए भाजपा सरकार ने उठाए ठोस कदम उठाए गए हैं। गाड़ियों का PUCC नहीं तो पेट्रोल/डीजल नहीं मिलेगा। कंस्ट्रक्शन मटेरियल लेकर आने वाले ट्रकों पर पूर्ण बैन। दिल्ली से बाहर के बीएस-6 केटेगरी से कम के निजी वाहनों की एंट्री पर रोक। ये कदम दिल्ली की हवा को साफ करने और प्रदूषण पर ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
क्या प्रदूषण से बुर्जुगों को सबसे ज्यादा खतरा?
उधर, कई रिपोर्ट्स में दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को बुर्जुगों के स्वास्थ्य के लिए काफी गंभीर माना गया है। रिपोर्ट्स की मानें, तो जहरीली हवा बुर्जुगों के फेफड़ों को सीधा प्रभावित कर रही है। ऐसे में उनकी क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में अगर कोई बुजुर्ग ज्यादा समय तक जहरीली हवा में रहता है, तो इससे पीएम-10 और पीएम-2.5 यानी पार्टिकुलेट मैटर वाले बारीक कण और भी अधिक घातक हो जाते हैं। खराब हवा में सांस लेने की वजह से यह बारीक कण बुजुर्गों के फेफड़ों में काफी गहराई तक चले जाते हैं। ऐसे में हवा की खराब गुणवत्ता के चलते बुजुर्गों को कोशिश करनी चाहिए कि प्रदूषित हवा में अधिक टाइम न रहें।
