Eid-Ul-Adha 2025: देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आज 7 June को मनाए जा रहे ईद-अल-अजहा यानी बकरीद की धूम है। सऊदी से लेकर कतर, इराक, इरान, फलिस्तिन, इंडोनेशिया समेत अन्य तमाम मुस्लिम बाहुल राष्ट्रों में आज धूम-धाम से ईद-अल-अजहा 2025 मनाया जा रहा है। भारत में रहने वाले मुसलमान भी पूरी तैयारी के साथ बकरीद मना रहे हैं और एक-दूजे को मुबारकबाद दे रहे हैं। Eid-Ul-Adha 2025 यानी बकरीद पर दी जाने वाली कुर्बानी को लेकर खास चर्चा है। तमाम लोगों के मन में Qurbani के महत्व और इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में कई सवाल भी होंगे। ऐसे में आइए हम आपको ईद-अल-अजहा के इस खास मौके पर विस्तार से सब कुछ बताने की कोशिश करते हैं।
बकरीद त्योहार कैसे मनाते हैं देश-दुनिया के मुसलमान?
तौर-तरीकों में थोड़ी भिन्नता हो सकती है, लेकिन बकरीद की मान्यता लगभग एक सी है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार सदियों पहले हजरत इब्राहीम अस्सलाम को खुदा की तरफ से हुक्म आया कि वे अपनी सबसे प्यारी चीज को अल्लाह के रास्ते में कुर्बान करें। इसके बाद हजरत साहब ने अपने पशुओं की बली अल्लाह के नाम पर दे दी। मान्यता है कि तभी से मुसलमान ईद-अल-अजहा यानी बकरीद का त्योहार मनाते हैं। इस खास अवसर पर देश-दुनिया के मुसलमान तय समय पर मस्जिदों पर नमाज अदा करते हैं। इस दौरान एक-दूजे को गले लगकर मुबारकबाद भी देते हैं और फिर सेवईयां, मिठाइयां व गोश्त एक-दूजे को भेंट कर हर्षोल्लास के साथ Eid-Ul-Adha 2025 मना रहे हैं। ईद-अल-अजहा पर मुसलमान गरीबों को दान भी देते हैं और जानवर की कुर्बानी कराते हैं।
इस्लामिक त्योहार Eid-Ul-Adha 2025 पर समझें Qurbani का महत्व!
मान्यता है कि हजारो वर्ष पहले हजरत इब्राहीम, अल्लाह के आदेश पर अपने बेटे हजरत इस्माईल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे। इसके बाद उनके समर्पण भाव को देखकर खुदा ने उन्हें एक जानवर दे दिया जिसकी कुर्बानी की गई। इसके बाद से ही ईद-अल-अजहा के रूप में मनाए जाने वाले इस त्योहार पर Qurbani का चलन है। मुसलमान हजरत इब्राहीम के मार्ग पर चलते हुए आज Eid-Ul-Adha 2025 यानी बकरीद पर बकरी, भेड़ या अन्य जानवरों की कुर्बानी दे रहे हैं। कुर्बानी के माध्यम से मुसलमान ये संदेश देने की कोशिश करते हैं कि अल्लाह की राह में कुछ भी कुर्बान करने का जज्बा रखना चाहिए।