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India Defence Export: रक्षा क्षेत्र में भारत की बढ़ी ताकत! Rajnath Singh ने आधुनिक युद्ध के प्रशिक्षण से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा समेत कई अहम मुद्दों पर की चर्चा; जानें डिटेल

India Defence Export: रक्षा मंत्री ने आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला, जहां सूचना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते खतरे पर जोर डाला।

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India Defence Export
Rajnath Singh - फाइल फोटो

India Defence Export: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने India Defence Export में घोषणा करते हुए कहा कि भारत के रक्षा निर्यात ने एक दशक पहले के मात्र 2000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 21000 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक स्तर पार कर लिया है। इंडिया डिफेंस एक्सपोर्ट के दौरान उन्होंने महू स्थित आर्मी वॉर कॉलेज (AWC) में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने 2029 तक रक्षा निर्यात को 50000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। आइए जानें Rajnath Singh के संबोधन की मुख्य बातें।

India Defence Export में क्या बोले Rajnath Singh

रक्षा मंत्री ने आधुनिक युद्ध के बदलते स्वरूप पर प्रकाश डाला, जहां सूचना युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)-आधारित रणनीति, साइबर हमले, अंतरिक्ष युद्ध और प्रॉक्सी युद्ध जैसी चुनौतियां सामने आ रही हैं। इन खतरों से निपटने के लिए उन्होंने महू के प्रशिक्षण संस्थानों, जैसे इंफैंट्री स्कूल और मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (MCTE), की सराहना की, जो लगातार अपने पाठ्यक्रम को उन्नत कर रहे हैं और भविष्य के संघर्षों के लिए सैनिकों को तैयार कर रहे हैं।

सेना में समन्वय को बढ़ावा देना

India Defence Export में राजनाथ सिंह ने तीनों रक्षा सेवाओं के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह एकीकरण भविष्य में चुनौतियों का अधिक कुशलता से सामना करने में मदद करेगा। उन्होंने रक्षा अताशे के रूप में कार्य करने वाले अधिकारियों से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को अपनाने और वैश्विक स्तर पर भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का आग्रह किया।

वीरों को श्रद्धांजलि और भविष्य के लिए दूरदृष्टि पर बोले रक्षा मंत्री

राजनाथ सिंह ने India Defence Export में इंफैंट्री मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्हें AWC के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल एचएस साहि द्वारा संस्थान की भूमिका और बहु-डोमेन संचालन के लिए सैन्य नेताओं को तैयार करने के प्रयासों की जानकारी दी गई। इस दौरान उन्होंने शिक्षाविदों, उद्योगों और मित्र देशों के अधिकारियों के साथ संस्थान के सहयोग और अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी रेखांकित किया।

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