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Humayun Kabir: क्या बंगाल में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हुमायूं कबीर? बागी विधायक के रुख से उबाल, टीएमसी के लिए आगे क्या?

बागी विधायक Humayun Kabir क्या पश्चिम बंगाल के सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ये सवाल मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बनने वाले बाबरी जैसी नई मस्जिद को लेकर बने समीकरण के संदर्भ में उठ रहा है। पूछा जा रहा है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी कैसे इस चुनौती से पार पाएगी।

Humayun Kabir
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Humayun Kabir: मुर्शिदाबाद इन दिनों सुर्खियों का केन्द्र बना हुआ है। इसकी वजह है बागी विधायक हुमायूं कबीर का एक ऐलान जिसके तहत बाबरी जैसी नई मस्जिद का निर्माण होना है। इसके लिए आगामी कल यानी 6 दिसंबर को नींव रखे जाने की योजना है। इससे पहले सवाल उठ रहे हैं कि क्या टीएमसी से निष्कासित होने के बाद हुमायूं कबीर बंगाल का सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं?

इस सवाल के बीच बंगाल में कोलकाता से लेकर दीनाजपुर, मुर्शिदाबाद तक उबाल है। बागी विधायक के रुख को लेकर पूछा जा रहा है कि सत्तारुढ़ टीएमसी अब आगे क्या करेगी? क्या ममता बनर्जी खुद दखल देकर कोई ठोस कदम उठाएंगी? आइए चर्चा कर इन सवालों का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं।

क्या बंगाल में सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे Humayun Kabir?

इस सवाल का जवाब फिलहाल भविष्य के गर्भ में है। बंगाल के सियासी गलियारों में इसको लेकर खूब चर्चा चल रही है। दरअसल, हुमायूं कबीर ने मुर्शिदाबाद के बेलडांगा को बाबरी जैसी नई मस्जिद निर्माण के लिए चुना है। ये मुस्लिम बहुल इलाका है। कयास लगाए जा रहे हैं कि हुमायूं कबीर के भड़काऊ बयान और नई बाबरी जैसी मस्जिद का निर्माण कराने से सामाजिक सौहार्द पर संकट पैदा हो सकता है।

खुद ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी भी सांप्रदायिक घटनाओं की आशंका व्यक्त करते हुए हुमायूं कबीर को पार्टी से निष्कासित कर चुकी है। बाबरी मस्जिद का विषय लंबे समय तक विवादित रहा है। ऐसे में फिर नई बाबरी जैसी मस्जिद निर्माण का ऐलान करना गड़े मुर्दे उखाड़ने के समान है। तमिक उठा-पटक मात्र से ही लोगों की भावनाएं आहत हो सकती है जिससे सामाजिक सौहार्द पर संकट खड़ा हो सकता है।

बंगाल में सियासी उबाल के बीच टीएमसी के लिए अब आगे क्या?

सत्तारुढ़ टीएमसी बंगाल में मचे ताजा सियासी उबाल को लेकर उलझन में है। बागी विधायक हुमायूं कबीर के रुख को देखते हुए ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने उन्हें निष्कासित तो कर दिया है, लेकिन उनका रुख कमजोर नहीं पड़ रहा है। ये मामला कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी गूंजा जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने दखल देने से इंकार करते हुए शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर छोड़ दी है।

सत्तारुढ़ दल टीएमसी का पूरा ध्यान अब मुर्शिदाबाद में शांति व्यवस्था कायम रखने पर है। इसके लिए आवश्यक सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई है। टीएमसी सरकार को इस बात का पूरा ख्याल रखना होगा कि सुरक्षा व्यवस्था कहीं से भी भंग न हो और लोगों के हित कटघरे में न खड़े हों। अब देखना दिलचस्प होगा कि टीएमसी कैसे इस चुनौती से पार पाती है।

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