Waqf Amendment Bill: देश में जारी तमाम सियासी उठा-पटक के बीच वक्फ अमेंडमेंट बिल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, JPC ने वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है। इस दौरान 14 संशोधन के साथ स्वीकृति पर मुहर लगी है। गौरतलब है कि JPC ने 44 संशोधन के साथ Waqf Amendment Bill का मसौदा पेश किया था, जिसे विपक्ष की ओर से खारिज किया गया था। हालांकि, अब मंजूरी मिलने के बाद रास्ता साफ होता नजर आ रहा है। आगामी बजट सत्र के दौरान जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी सदन में वक्फ अमेंडमेंट बिल को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
Waqf Amendment Bill को मंजूरी मिलने के बाद क्या बोले JPC प्रमुख?
जेपीसी प्रमुख जगदंबिका पाल ने वक्फ अमेंडमेंट बिल को मंजूरी मिलने के बाद अपना पक्ष रखा है। उनका कहना है कि “JPC बैठक के दौरान कुल 44 संशोधनों पर चर्चा की गई। हमने इस दौरान सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी, इसलिए, बहुमत के आधार पर समिति द्वारा 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन का सुझाव दिया था, हमने उनमें से प्रत्येक को पेश किया और इसे मतदान के लिए रखा गया। इसके बाद 10 वोट उनके सुझाए गए संशोधनों के समर्थन में और 16 वोट इसके विरोध में पड़े।” बता दें कि जेपीसी आगामी बजट सत्र में Waqf Amendment Bill पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
JPC बैठक के दौरान BJP सांसद ने विपक्ष पर लगाए गंभीर आरोप
बीजेपी सांसद अपराजिता सारंगी ने Waqf Amendment Bill के लिए हुई JPC बैठक के दौरान विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि “जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सभी को सुनने की कोशिश की। हालांकि, आज भी विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करना शुरू कर दिया और पूरी विपक्षी टीम का नेतृत्व कल्याण बनर्जी ने किया। वक्फ अमेंडमेंट बिल पर वास्तव में बहुत व्यापक रूप से, बहुत गहनता से विचार-विमर्श किया गया है। यह समिति कुछ राज्यों में उन संगठनों की बात सुनने के लिए भी गई थी जो दिल्ली नहीं आ पाए हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि पूरी प्रक्रिया बहुत ही लोकतांत्रिक तरीके से की गई है।”
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने इस पूरे प्रकरण में पलटवार किया है। Waqf Amendment Bill को लेकर उनका कहना है कि “आज, उन्होंने वही किया जो उन्होंने तय किया था। उन्होंने (सत्ता पक्ष) हमें बोलने की अनुमति नहीं दी। शुरू में हमने दस्तावेज और अभ्यावेदन मांगी थीं। उन्होंने खंड दर खंड चर्चा शुरू की। उन्होंने तब चर्चा की अनुमति नहीं दी। जब संशोधन प्रस्ताव लाया गया तो हमें बोलने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने खुद ही संशोधन पेश किया, गिनाया और घोषित किया। यह लोकतंत्र का काला दिन है और जगदंबिका पाल लोकतंत्र के सबसे बड़े ब्लैकलिस्टर हैं। उन्होंने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है।”