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APJ Abdul Kalam: भारत का वो चमकता सूरज जिसने खुद को लोहे की तरह तपाया था, काफी संघर्षपूर्ण था भारत के मिसाइल मैन का जीवन

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APJ Abdul Kalam
APJ Abdul Kalam

APJ Abdul Kalam: भारत के मिसाइल मैन (APJ Abdul Kalam Death Anniversary) को आज पूरा देश याद कर रहा है। 27 जुलाई 2015 को वह दुनिया को अलविदा कह गए थे। भारत में Ballistic Missiles को डेवलप करने में उनका बहुत बड़ा योगदान माना जाता है।

कहते हैं अगर आपको जिंदगी में सूरज की चमकना है तो आपको लोहे की तरह तपना होगा। ये कहावत उन पर फीट बैठती है। उन्होंने अपनी जिंदगी में काफी चुनौतियों का सामना किया था। एक गरीब घर से आने वाले व्यक्ति का भारत के राष्ट्रपति बनने तक का सफर भी काफी दिलचस्प था।

हजारों युवाओं के आइकॉन थे कलाम

उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष देखा था। कभी अपनी फीस भरने के लिए उन्हें अखबार तक बेचने पड़े थे। भारत के हजारों युवा उन्हें अपना आइकॉन मानते थे। तो आइए आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर उनके जीवन के पन्नों पर जरा नजर डालते हैं।

साइंस और टेक्नोलॉजी से गजब का था प्यार

एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का मिसाइल मैन भी कहा जाता है। भारत की पहली मिसाइल्स को विकसित करने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। उन्हें साइंस और टेक्नोलॉजी से गजब का प्यार था। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश और साइंस को समर्पित कर दिया था।

नहीं की थी शादी, बताई थी इसकी वजह

साइंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया से वह इतना प्यार करते थे की उन्होंने जीवन भर शादी नहीं की। एक कार्यक्रम में जब उनसे पूछ गया की उन्होंने अपने लिए लाइफ पार्टनर क्यों नहीं ढूंढा तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा था, “अगर मैंने शादी कर ली होती, तो आज जो मैंने हासिल किया है उसका आधा भी कभी हासिल नहीं कर पाता।”

पढ़ाई का खर्चा निकालने के लिए किया काफी संघर्ष

अब्दुल कलाम का बचपन काफी संघर्षपूर्ण था। जब वे छोटे थे तो उन्हें अपना खर्च निकालने के लिए अखबार तक बेचने पड़े थे। वह बताते थे की वह सुबह 4 बजे उठा करते थे। रोजमर्रा के काम खत्म करने के बाद वह मैथ्स की ट्यूशन जाया करते थे। वहां से वापस लौटने के बाद वे रामेश्वरम रेलवे स्टेशन और बस स्टाप पर अखबार बेचा करते थे।

पोखरण परमाणु परीक्षण भी उन्ही की देन

खिलौनों से खेलने की उम्र उन्होंने काफी संघर्ष देखा था। ऐसे में जब उन्होंने जिंदगी में एक मुकाम पाया तभी वे उन चीजों की कद्र करते थे। वह बहुत ही शांत स्वभाव के थे। लोगों को उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता था। 1998 में हुआ पोखरण परमाणु परीक्षण भी उन्ही की देन थी। जिसके बाद भारत ने पहली बार 5 न्यूक्लियर टेस्ट किए थे।

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