New Year 2025: अतीत को पीछे छोड़ नए वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। तमाम स्मृतियों का गवाह बन चुका वर्ष 2024 खत्म हो गया और अब आम हो चुकी है न्यू ईयर 2025 की। देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों में नए साल को लेकर खूब धूम है। लोग अपनी-अपनी सुविधा और सामर्थ्य के अनुसार नया साल मना रहे हैं। हालांकि, नया साल के जश्न के बीच लोगों के मन में ये सवाल भी है कि क्या भारत में एक ही नववर्ष मनाया जाता है? यदि ऐसा है तो हिंदू नववर्ष, बैसाखी, गुड़ी पड़वा, जुड़-शीतल आदि क्या हैं? तो चलिए आपके मन में उठ रहे तमाम सवालों का जवाब देते हैं और बताते हैं कि New Year 2025 के साथ भारतीय भूमि अन्य कितने नववर्ष का गवाह बनेगी।
New Year 2025 ही नहीं, कई ‘नववर्ष’ का गवाह बनेगी भारतीय भूमि
प्राचीन संस्कृति, परंपरा और विरासत को समेट कर चलने वाले भारतीय लोग न्यू ईयर 2025 के अलावा भी आने वाले दिनों में कई नववर्ष मनाएंगे। इन्हें बैसाखी, गुड़ी पड़वा, जुड़-शीतल, जमशेदी नवरोज, विशु आदि जैसे खास पर्व के रूप में मनाया जाएगा। न्यू ईयर 2025 के जश्न में डूबे लोगों को ये जानना जरुरी है कि भारतीय भूमि कितनी प्राचीन विरासतों और संस्कृतियों का गवाह बनती है। हमारे देश में आज 1 जनवरी को New Year 2025 की धूम है। वहीं निकट भविष्य में 13 या 14 अप्रैल को बैसाखी को फसल उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। सिख समुदाय इस खास दिन को नव वर्ष के रूप में मनाता है।
हिंदू नववर्ष को लेकर भी New Year 2025 पर कई तरह के सवाल हैं। हिंदू नववर्ष भी हमारी प्राचीन विरासत और संस्कृति का गवाह है। प्रत्येक वर्ष की भांति वर्ष 2025 में भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से इसका आरंभ होगा। बता दें कि हिंदू नववर्ष की गणना अंग्रेजी कैलेंडर के बजाय विक्रम संवत के अनुसार की जाती है, जिसका प्रथम माह चैत्र और अंतिम माह फाल्गुन होता है।
न्यू ईयर 2025 के अलावा बिहार और झारखंड में रहने वाले मैथिली समाज द्वारा जुड़-शीतल को नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। मैथिली समाज प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को जुड़-शीतल मनाकर नववर्ष का आरंभ करता है। जुड़-शीतल के अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों में बोहाग बिहू, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, कर्नाटक में उगादी, पारसी समुदाय द्वारा मनाया जाने वाला जमशेदी नवरोज, इस्लामिक नववर्ष, विशु आदि प्रमुख नववर्षों में शामिल है।
प्राचीन विरासत और विभिन्न संस्कृतियों का गवाह बनता है भारत
भारत देश में ‘हम भारत के लोग’ की बात होती है। इस ‘हम’ में विभिन्न संस्कृति, विरासत और परंपरा में विश्वास रखने वाले लोग होते हैं। यही वजह है कि भारतीय भूमि पर विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का निर्वाहन होता है। 1 जनवरी को न्यू ईयर 2025 की शुरुआत भी उसी का एक हिस्सा है। आगामी कुछ ही दिनों में अन्य उत्सवों की धूम नजर आएगी और New Year 2025 के अलावा विभिन्न परंपरा और संस्कृति में विश्वास रखने वाले लोग अपने-अपने नववर्ष का जश्न मनाते नजर आएंगे।