Punjab News: श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित सेमिनार की अनुमति को रद्द किए जाने पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर सीधा और तीखा हमला बोला है। श्री आनंदपुर साहिब से सांसद और ‘आप’ के प्रदेश महासचिव मलविंदर सिंह कंग ने इसे “बेहद दुर्भाग्यपूर्ण” और “दुःखदायी” करार देते हुए कहा कि बीजेपी पंजाब के इतिहास और विरासत को दबाने की कोशिश कर रही है।
यह फैसला संस्थान प्रशासन द्वारा दिल्ली में बैठे अपने “आकाओं” (केंद्र सरकार) के राजनीतिक दबाव में लिया गया है
सांसद कंग ने साफ़ तौर पर आरोप लगाया है कि यह फैसला संस्थान प्रशासन द्वारा दिल्ली में बैठे अपने “आकाओं” (केंद्र सरकार) के राजनीतिक दबाव में लिया गया है। उन्होंने चुनौती देते हुए पूछा कि गुरु साहिब की शहादत और बलिदान पर चर्चा से डर क्यों लगता है?
पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र और दो बार छात्र परिषद के अध्यक्ष रह चुके सांसद कंग ने एक प्रेस बयान में कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत केवल सिख कौम के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए बेमिसाल और ला-मिसाल है। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब ने सिर्फ धर्म की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि इस देश के सभ्यता और मानवता को बचाने के लिए अपना सर्वंस वार दिया।
उन्होंने आरोप लगाया, “मुझे पता है कि कुलपति (VC) पर दिल्ली से दबाव है। केंद्र की बीजेपी सरकार नहीं चाहती कि ‘हिंद की चादर’ की गौरवशाली विरासत और इतिहास हमारी नौजवान पीढ़ी तक पहुंचे।” उन्होंने इस कृत्य को शहीद भाई जसंवत सिंह खालड़ा की तस्वीर हटाए जाने जैसी घटनाओं की एक शृंखला का हिस्सा बताया, जिसका उद्देश्य केवल पंजाब के नौजवानों और सिख विरासत की आवाज़ को दबाना है।
सिख विद्वान और चिंतक सरदार अजमेर सिंह की भागीदारी के कारण रद्द की है
सांसद कंग ने बताया कि उन्हें छात्रों से जानकारी मिली है कि प्रशासन ने 27 अक्टूबर को होने वाले इस सेमिनार की अनुमति प्रख्यात सिख विद्वान और चिंतक सरदार अजमेर सिंह की भागीदारी के कारण रद्द की है, जिन्हें ‘विवादित’ कहा जा रहा है।कंग ने इस तर्क को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरदार अजमेर सिंह पिछले तीन दशकों से अधिक समय से सार्वजनिक जीवन में हैं, उन पर कोई केस दर्ज नहीं है और वह देश-विदेश की यूनिवर्सिटियों में बोलते रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, “उन्हें रोकना सीधे तौर पर अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला है।”
सांसद मलविंदर कंग ने इस संबंध में कुलपति प्रो. रेनू विग को एक पत्र लिखकर तत्काल हस्तक्षेप करने और सेमिनार की अनुमति बहाल करने की मांग की है।
गुरु साहिब का यह इतिहास तो हमारे सिलेबस का हिस्सा होना चाहिए
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि गुरु साहिब का यह इतिहास तो हमारे सिलेबस का हिस्सा होना चाहिए, ताकि नौजवान इससे प्रेरणा लेकर बेहतर भविष्य की संरचना कर सकें। उन्होंने कुलपति से अपील की है कि वह किसी भी राजनीतिक दबाव के सामने न झुकें और छात्रों को सेमिनार की अनुमति दें, क्योंकि पूरी दुनिया गुरु साहिब की कुर्बानी को मानती है। पंजाब की AAP सरकार अपनी विरासत और युवाओं की आवाज़ की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
सांसद कंग ने जानकारी देते हुए बताया कि उन्हें छात्रों से पता चला है कि प्रशासन ने 27 अक्टूबर को होने वाले इस सेमिनार की अनुमति उद्देश्यपूर्ण तरीके से रद्द की है, क्योंकि इसमें प्रख्यात सिख विद्वान और चिंतक सरदार अजमेर सिंह शामिल होने वाले थे, जिन्हें ‘विवादित’ कहा जा रहा है।
कंग ने इस तर्क को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरदार अजमेर सिंह पिछले तीन दशकों से अधिक समय से सार्वजनिक जीवन में हैं, उन पर कोई केस नहीं है और वह देश-विदेश की यूनिवर्सिटियों में बोलते रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि उन्हें रोकना सीधे तौर पर अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला है।
‘हिंद की चादर’ की इस लासानी कुर्बानी को समर्पित सेमिनार आयोजित करने की अनुमति दें
सांसद मलविंदर कंग ने कुलपति प्रो. रेनू विग को एक पत्र लिखकर मांग की है कि वह बिना किसी राजनीतिक दबाव के तुरंत छात्रों को ‘हिंद की चादर’ की इस लासानी कुर्बानी को समर्पित सेमिनार आयोजित करने की अनुमति दें।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह इतिहास तो हमारे सिलेबस का हिस्सा होना चाहिए, ताकि नौजवान इससे प्रेरणा लेकर बेहतर भविष्य की संरचना कर सकें। उन्होंने इस घटना को शहीद भाई जसंवत सिंह खालड़ा की तस्वीर हटाए जाने जैसी घटनाओं की एक शृंखला का हिस्सा बताया, जो पंजाब के नौजवानों और सिख विरासत की आवाज़ को दबाने की कोशिश है।
कंग ने कुलपति से छोटी सोच छोड़कर तुरंत अनुमति बहाल करने की अपील की है, क्योंकि पूरी दुनिया गुरु साहिब की कुर्बानी को मानती है। AAP सांसद ने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार अपनी विरासत और युवाओं की आवाज़ को दबाने की किसी भी कोशिश का पुरज़ोर विरोध करेगी।






