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Sant Ravidas Jayanti 2025: ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’, आज के समय में सटीक बैठती है यह कहावत; जानें उनके खास वचन

Sant Ravidas Jayanti 2025: गुरु रविदास की जयंती के अवसर पर एक कहावत आज के समय में एकदम सटीक बैठती है। 'मन चंगा तो कठौती में गंगा'। जानें उनके खास वचन।

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Sant Ravidas Jayanti 2025
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Sant Ravidas Jayanti 2025: आज पूरे देश में संत रविदास जयंती 2025 मनाई जा रही है। अगर आप नहीं जानते तो आपको बता दें कि गुरु रविदास एक संत कवि थे। इन्हें संत शिरोमणि गुरु की उपाधि दी गई थी। गुरु रविदास ने रविदासीय पंथ को स्थापित किया था। इनके द्वारा तैयार किए गए कुछ भजनों को सिख धर्म ग्रंध गुरुग्रंध साहिब में भी सम्मिलित किया गया है। गुरु रविदास ने समाज में जात से ऊपर उठकर लोगों को आत्मज्ञान का रास्ता दिखाया। संत रविदास की कई कहावत लोकप्रिय हैं। मगर ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ आज के समय में एकदम सटीक बैठती है।

Sant Ravidas Jayanti 2025 की यह कहावत आज के टाइम में बैठती है सटीक

आपको बता दें कि संत रविदास जयंती 2025 के मौके पर ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ कहावत का आपको अनुसरण करना चाहिए। गुरु रविदास द्वारा रचित इस कहावत का मतलब है, ‘मन जो काम करने के लिए अंतर्मन से तैयार हो, वही काम करना उचित होता है।’ आज के टाइम में यह कहावत इसलिए भी सटीक बैठती है, क्योंकि काफी लोग बेमन से काम करते हैं। ऐसे में उस काम का परिणाम कभी भी अच्छा नहीं आता है और फिर वो दुखी रहते हैं।

संत रविदास जयंती 2025 के अवसर पर जानें उनके खास विचार

गुरु रविदास को पंजाब में रविदास, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान में रैदास के नाम से जाना जाता है। वहीं, गुजरात और महाराष्ट्र के लोग रोहिदास नाम से बुलाते हैं। Sant Ravidas Jayanti 2025 के अवसर पर आपको बता दें कि संत रविदास का जन्म 1376 में माघ पूर्णिमा के दिन उत्तर प्रदेश के बनारस के गोबर्धनपुर में हुआ था। उनके जन्म को लेकर इतिहासकारों के बीच अलग-अलग राय हैं।

गुरु रविदास की मां का नाम कर्मा देवी और पिता का नाम संतोख दास था। इतिहासकारों के अनुसार, गुरु रविदास के कोई गुरु नहीं थे। गुरु रविदास के कुछ मशहूर वचन हैं। गुरु रविदास का मानना था कि कोई भी इंसान अपने जन्म से बड़ा या छोटा नहीं होता, बल्कि अपने कर्मों से बड़ा या छोटा होता है। ईश्वर उस इंसान के हृदय में रहते हैं, जिस व्यक्ति के दिल में किसी के लिए भी कोई द्वैष या बैर नहीं होता है।

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