S Jaishankar: भारतीय सरजमीं हो या विदेश की भूमि, चीन के प्रति एस जयशंकर का रुख सदैव सख्त ही नजर आता है। विदेश मंत्री ने अबकी बार साउथ अफ्रिका के जोहान्सबर्ग में बहुपक्षवाद का मुद्दा उठाया है। एस जयशंकर ने G20 Foreign Minister’s मीटिंग के दौरान भारत का पक्ष रखते हुए चीन पर जबरदस्त कटाक्ष कर उसे चौतरफा घेरा है। S Jaishankar का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानून UNCLOS का सम्मान किया जाना चाहिए। किसी भी देश के बीच डोर-जबरदस्ती के लिए कोई जगह नहीं है। एस जयशंकर ने ड्रैगन को लाल आंख दिखाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि भारत का ध्यान अरब सागर और अदन की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा पर मजबूती से टिका है।
G20 Foreign Minister’s मीटिंग में S Jaishankar का खास अंदाज
जोहान्सबर्ग में बीते कल अपना पक्ष रखते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि “सभी सदस्य देशों को यह समझना होगा कि बहुपक्षवाद पहले ही क्षतिग्रस्त है। संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद अक्सर ग्रिड-लॉक रहती है। ऐसे में सभी को दृढ़ता से 1982 के समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन का सम्मान करना होगा। ऐसी स्थिति में सभी समस्याओं से निपटारा पाने में मदद मिल सकती है।” इशारों-इशारों में चीन का नाम लिए बगैर S Jaishankar ने कहा कि “समझौते का पालन किया जाना चाहिए और जोर-जबरदस्ती के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।” दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में G20 Foreign Minister’s की बैठक के दौरान बीते कल एस जयशंकर द्वारा चीन पर किया गया ये कटाक्ष अब सुर्खियां बटोर रहा है।
समुद्री व्यापार को बहाल करने पर क्या बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर?
भारत के समुद्री व्यापार को बहाल करने की वकालत करते हुए विदेश मंत्री ने जोहान्सबर्ग में अहम बात कही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अरब सागर और अदन की खाड़ी में समुद्री सुरक्षा की रक्षा के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध है। ऐसे में जो समुद्री व्यापार जो भू-राजनीतिक तनाव के कारण बाधित हुआ है उसे जल्द से जल्द बहाल किया जाना चाहिए। सामान्य समुद्री व्यापार बहाल करने के लिए हमारी प्राथमिकता आज भी बनी हुई है। इसके अलावा S Jaishankar ने मिडिल इस्ट, समुद्री सुरक्षा, रुस-यूक्रेन वॉर, इंडो-पैसिफिक और संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर भी भारत का पक्ष रखा है।