Ganga Expressway: उत्तर प्रदेश का गंगा एक्सप्रेसवे बहुत जल्द खुलने वाला है। 12 जिलों को कनेक्ट करने वाले इस एक्सप्रेसवे का रुट मेरठ, हापुड, बुलन्दशहर, अमरोहा, संभल, बदांयू, शाहजहाँपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज हैं। ये पूर्वी यूपी को पश्चमी उत्तर प्रदेश से जोड़ता है। यात्रा, रोजगार और बिजनेस की दृष्टि से ये बेहद खास माना जा रहा है। लगभग 594 किलोमीटर लंबे बने इस एक्सप्रेस वे के किनारों पर औद्योगिक कॉरिडोर का कार्य बहुत जल्द शुरु होने वाला है। एक्सप्रेस वे किनारों पर शॉपिंग मॉल से लेकर कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स बनाने का सपना देख रहे बिजनेसमैन्स के लिए बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल, एक्सप्रेस वे के बनने से यहां के गावों में जमीनों की कीमत आसमान छू रही है। जिसकी वजह से औद्योगिक कॉरिडोर बनने समस्याएं आ रही हैं।
Ganga Expressway पर औद्योगिक कॉरिडोर बनाना बना चुनौती
694 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस वे के दोनों किनारों पर औद्योगिक गलियारा बनाया जाएगा। जिसमें 240 हेक्टर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इस औद्योगिक कॉरिडोर में लॉजिस्टिक्स क्लस्टर, फार्मा पार्क, टेक्सटाइल पार्क, शॉपिंग मॉल, पार्किंग सहित तमाम बिजनेस के हब बनेंगे। लेकिन इस एक्सप्रेसवे के किनारों पर जमीन खरीदने के लिए उद्योगपतियों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, गंगा एक्सप्रेस वे के किनारे बसे गांवो ने यहां की जमीन के दामों को 10 गुना से भी ज्यादा बढ़ोतरी कर दी है। जिसकी वजह से जमीन खरीद पाना मुश्किल होता जा रहा है। जमीन के रेट बढ़ने से देसी और विदेशी कपंनियों के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। आपको बता दें, ये औद्योगिक हब मेरठ में बिजौली और खरखौदा गांवों के आस-पास की जमीन पर बनने वाला है।
औद्योगिक कॉरिडोर के फायदे
उत्तर प्रदेश के विकास के लिए ये बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। लेकिन 12 जिलों में जमीन के रेट बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। जिसकी वजह से औद्योगिक गलियारा बनवाना मुश्किल हो गया है।गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे पर बन रहा औद्योगिक गलियारा देश के विकास के लिए बेहद अहम बताया जा रहा है। इसके बनने से रोजगार पैदा होगा। इसके साथ ही यूपी की अर्थव्यवस्था को नई उड़ान मिलेगी।
