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UP Politics: Mayawati ने मीडिया सेल किया भंग, फैसले ने सबको चौंकाया

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UP Politics: BSP प्रमुख मायावती अपनी अप्रत्याशित राजनीतिक फैसलों के लिए जानी जाती हैं। प्रदेश की राजनीति में इस समय बसपा प्रमुख और उनकी पार्टी हासिए पर चल रही है। लेकिन आने वाले निकाय चुनावों, लोक सभा चुनाव 2024 और योगी सरकार के शासकीय शैली को देखते हुए बसपा प्रमुख ने चौंकाने वाला फैसला कर लिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए अपने इस फैसले की जानकारी दी बसपा की मीडिया सेल का पुनर्गठन प्रस्तावित है। पार्टी को उमेश पाल हत्याकांड से अलग करते हुए आरोपित माफिया अतीक अहमद के परिवार से भी अलग कर लिया।

जानें क्या है पूरा मामला

बता दें बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज एक ट्वीट कर राजनीतिक गलियारों को हैरान कर दिया। उन्होंने अपने इस ट्वीट के माध्यम से लिखा कि “बीएसपी द्वारा पार्टी के मीडिया सेल का पुनर्गठन प्रस्तावित है। इस परिस्थिति में नए मीडिया सेल का गठन होने तक अब कोई पार्टी का प्रवक्ता नहीं है। अतः श्री धर्मवीर चौधरी सहित पार्टी के जो भी लोग मीडिया में अगर अपनी बात रखते हैं तो यह उनकी निजी राय होगी,पार्टी का अधिकृत वक्तव्य नहीं।

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जानें क्यों लिया ये फैसला

बसपा प्रमुख मायावती द्वारा इस फैसले की टाइमिंग को लेकर चर्चा है। बता दें अब से कुछ दिन पहले बसपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मवीर चौधरी ने उमेश पाल हत्याकांड में आरोपित अतीक और उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन का बचाव करते हुए उनके द्वारा सीबीआई मांग का समर्थन कर दिया था। उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि ‘उमेश पाल हत्याकांड में बीएसपी नेता शाइस्ता परवीन सीबीआई जांच की मांग कर रही हैं तो सरकार को न्याय हित में सीबीआई जांच करानी चाहिए, जिससे सरकार भाग रही है’ पार्टी प्रवक्ता के इस बयान को लेकर बसपा आने वाले चुनावों को लेकर कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती। न ही किसी प्रकार के अपराधीकरण तथा कानून व्यवस्था के मुद्दे पर फंसना चाहती है। इसलिए बसपा प्रमुख ने अपनी पार्टी का इस मुद्दे से किनारा कर लिया।

विपक्षियों को दिया जबाव

बता दें बसपा के विरोधी दलों में अभी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीतापुर की एक जनसभा में मायावती पर आरोप लगाया था। बसपा कांशीराम के सिद्धांतों से भटक गई है और उसकी रणनीति और उम्मीदवार भाजपा दफ्तर से तय होते है। इसका जबाव देते हुए मायावती ने कहा कि बसपा की स्थापना ही सताए हुए लोगों को उनका संवैधानिक अधिकार दिला देश की व्यवस्था में भागीदार बनाने के लिए हुई थी। देश व खासकर यूपी में भाजपा, सपा तथा कांग्रेस घोर जातिवादी तथा आरक्षण विरोधी होने का खेल देख लिया है।

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