Gautam Adani: असफलता ही सफलता की जननी है। दुनिया के कई लोगों ने अपनी मेहनत और लगन से इस बात को साबित किया है। हालांकि, ऐसे लोगों या छात्रों की एक लंबी सूची रही है जो एक असफलता को अपने पूरे सपने का अंत मान लेते हैं। इसके पीछे उनके आसपास का नकारात्मक माहौल जिम्मेदार हैं। कुछ मामलों में, अच्छे मार्गदर्शन के अभाव में अधिकतर लोग अपनी पहली असफलता से इतने निराश हो जाते हैं कि वे खुद को सकारात्मक Lifestyle की बजाय नकारात्मक राह पर ले जाते दिखे हैं।
आप जानते हैं, किसी ने सही कहा है कि जीतने का असली आनंद केवल वही व्यक्ति जानता है जो हार कर आया हो। लेकिन कई लोग अपनी हार से ज़्यादा असहज महसूस करते हैं। वे नकारात्मक हो जाते हैं और गिरने के बाद फिर से उठने की कोशिश करने के बजाय खुद को बेकार की गतिविधियों में लगा देते हैं। जो कि दर्शनशास्त्र की दृष्टि से पूरी तरह से गलत है। हमें अपनी असफलता के बाद भी हमेशा बेहतर विकल्प के लिए फिर से काम करना चाहिए।
Gautam Adani की भावुक पोस्ट
इसी कड़ी में देश के प्रसिद्ध उद्योगपति Gautam Adani ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक और आत्म जागृत करने वाली पोस्ट लिखी है। वे लिखते हैं कि, ”अपेक्षाओं के बोझ तले दबकर एक होनहार बेटी का यूं चले जाना हृदयविदारक है। जीवन किसी भी परीक्षा से बड़ा होता है- यह बात अभिभावकों को खुद भी समझनी होगी और बच्चों को भी समझानी होगी। मैं पढ़ाई में बहुत सामान्य था। पढ़ाई एवं जीवन में कई बार असफल भी हुआ, लेकिन हर बार जिंदगी ने नया रास्ता दिखाया। मेरी आप सभी से बस इतनी सी विनती है – असफलता को कभी आखिरी मंज़िल न समझें। क्योंकि ज़िंदगी हमेशा दूसरा मौका देती है…!”
दरअसल, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की 18 वर्षीय लड़की की आत्महत्या का मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दावा किया जा रहा है कि लड़की एक निजी कोचिंग सेंटर से पढ़ाई करके JEE Main परीक्षा की तैयारी कर रही थी। वह Result for JEE(Main) 2025 में उच्च अंक प्राप्त करने से चूक गई। जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली। देश के तीसरे सबसे बड़े औद्योगिक घराने अडानी समूह के चेयरमैन और एशिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति गौतम अडानी ने सोशल मीडिया एक्स पर Uttar Pradesh की इस बेटी की घटना की वायरल पोस्ट को देखकर दुख जताया है।
छात्रों और अभिभावकों के लिए Important Tips
परीक्षा हो या Career में कोई प्रतियोगिता, हमें परिणाम के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए। जैसे जब हम किसी खेल प्रतियोगिता में भाग लेते हैं तो उसमें एक पक्ष ही जीतता है। इससे दूसरे पक्ष का सफर खत्म नहीं होता। वे हमेशा अपनी पिछली कमियों पर काम करते हैं और अगले मैच में अपनी प्रतिद्वंद्वी टीम को हराने के लिए तैयार रहते हैं। Examination या करियर के प्रतिस्पर्धात्मक दौर में भी कुछ ऐसा ही होता है। कभी परीक्षा में परिणाम छात्रों के पक्ष में होते हैं तो कभी आगे या पीछे या फिर उन्हें मन मुताबिक अंक नहीं मिल पाते।
इस वजह से छात्रों को कभी भी खुद को कमजोर नहीं समझना चाहिए या इसे आखिरी पड़ाव नहीं समझना चाहिए। क्योंकि आने वाले समय में कुछ ऐसे बेहतरीन विकल्प आपका इंतजार कर रहे हैं जिनके बारे में आपको नहीं पता। वहीं Parents की भी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए समय-समय पर अलग-अलग पहलुओं पर काम करते रहें। जिसमें पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को अलग-अलग गतिविधियों में शामिल करना भी शामिल है। ताकि उनके स्वभाव और सोच में सकारात्मक बदलाव की नींव रखी जा सके।
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