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अयोध्या राम मंदिर की नींव में पहली ईंट…कौन हैं Kameshwar Choupal, जानिए उनके निधन पर राजनीतिक जीवन की अनुसुनी कहानी

Kameshwar Choupal: भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल का शुक्रवार को निधन हो गया। उन्हें राजधानी दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे पिछले कई दिनों से बीमार थे। उन्होंने सबसे पहले 9 नवंबर 1989 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी थी।

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Kameshwar Choupal
Kameshwar Choupal

Kameshwar Choupal: अयोध्या राम मंदिर की नींव में पहली ईंट रखने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता कामेश्वर चौपाल का शुक्रवार (07 फरवरी) को निधन हो गया। उन्हें राजधानी दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह पिछले कई दिनों से बीमार थे। उनके निधन की खबर फैलते ही भाजपा और उनके परिवार में शोक की लहर है। Kameshwar Choupal बिहार के सहरसा जिले के वर्तमान सुपौल जिले के मरौना प्रखंड के कमरैल गांव के रहने वाले थे। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता रहते हुए उन्होंने समाज सेवा के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। कामेश्वर चौपाल का जन्म 24 अप्रैल 1956 को हुआ था। उन्होंने ललित नारायण मिश्र मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा से एमए की डिग्री प्राप्त की थी। कामेश्वर चौपाल विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त सचिव भी थे।

कौन हैं कामेश्वर चौपाल?

आपको बता दें कि कामेश्वर चौपाल ने सबसे पहले 9 नवंबर 1989 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी थी। इसके बाद साल 2020 में बिहार से बीजेपी नेता कामेश्वर चौपाल को Ayodhya में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट में शामिल किया गया। इसके साथ ही Kameshwar Choupal को संघ की ओर से पहले कार सेवक का दर्जा भी मिला था। मोदी सरकार में अयोध्या में बनने वाले Ram Mandir की नींव में पहली ईंट रखने का सौभाग्य कामेश्वर चौपाल को दिया गया। इसके बाद उन्होंने कहा, “जैसे शबरी ने भगवान श्रीराम को बेर खिलाए थे, वैसे ही मुझे भी ये मान और सम्मान मिला है।”

चुनाव हारने के बाद भी वे समाज सेवा में जुटे रहे

मालूम हो कि कामेश्वर चौपाल 2004 से 2014 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। हालांकि इस दौरान उन्होंने कई चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। 2014 में कामेश्वर चौपाल BJP के उम्मीदवार के तौर पर पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ सुपौल सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले भी उन्होंने 1991 में बीजेपी से रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन यहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली। 1995 में उन्होंने बीजेपी से बेगूसराय के बखरी विधानसभा सीट से Kameshwar Choupal को दो बार चुनाव लड़ाया, लेकिन यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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