Karnataka Budget: शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपना 16वां बजट पेश किया। इस बजट में राज्य के अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कई बड़े ऐलान किए गए। हालांकि, बीजेपी ने इस बजट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। BJP नेता अमित मालवीय ने सिद्धारमैया कांग्रेस सरकार के Karnataka Budget को मुस्लिम लीग का बजट करार दिया है। सिद्धारमैया कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने राज्य के अल्पसंख्यक परिवारों को शादी के लिए 50,000 रुपये की सहायता के साथ-साथ सरकारी निर्माण कार्यों में मुस्लिम ठेकेदारों के लिए विशेष आरक्षण की घोषणा की है। मस्जिदों के इमामों के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यक धार्मिक स्थलों के प्रमुखों का मानदेय बढ़ाकर 6,000 रुपये करने की खबर आज की सुर्खियों में है। इस पर बीजेपी ने सिद्धारमैया Congress सरकार पर निशाना साधा है।
BJP ने सिद्धारमैया सरकार के Karnataka Budget पर कसा तंज
भाजपा ने मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे तुष्टीकरण की राजनीति बताया है। वहीं कांग्रेस इसे सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों को न्याय दिलाने वाला कदम बताने में जुटी है। इस बीच भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सिद्धारमैया सरकार के Karnataka Budget पर कटाक्ष करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “यह कर्नाटक कांग्रेस का बजट नहीं, बल्कि नई मुस्लिम लीग का बजट है।”
अमित मालवीय आगे लिखते हैं कि, ”मुस्लिम तुष्टीकरण अपने चरम पर है! सरकारी ठेकों में मुसलमानों के लिए आरक्षण, मुस्लिम साधारण विवाहों के लिए 50,000 की सहायता, वक्फ संपत्तियों और कब्रिस्तानों के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 150 करोड़, मुस्लिम सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए 50 लाख, मुस्लिम बहुल इलाकों में नए ITI कॉलेज खोले जाएंगे, केईए के तहत मुस्लिम छात्रों को 50% फीस में छूट, उल्लाल शहर में मुस्लिम लड़कियों के लिए आवासीय पीयू कॉलेज, मुस्लिम छात्रों के लिए राष्ट्रीय और विदेशी छात्रवृत्ति में वृद्धि, अतिरिक्त इमारतों के साथ बेंगलुरु के हज भवन का विस्तार।”
इस Karnataka Budget से यह समुदाय नाखुश
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने CM Siddaramaiah कर्नाटक कांग्रेस सरकार पर कटाक्ष करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आगे लिखा, “मुस्लिम छात्राओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण एससी, एसटी और ओबीसी का क्या? बिल्कुल नहीं!” मालूम हो कि कर्नाटक सरकार के इस फैसले से वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के ठेकेदार नाराज हैं। उन्हें ऐसा कोई आरक्षण नहीं मिलता। हालांकि, BJP ने इस कदम का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इसे असंवैधानिक और तुष्टिकरण की राजनीति का उदाहरण बताया है।
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