Supreme Court: देश में इन दिनों अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस चल रही है। सड़क से लेकर सदन और सुप्रीम कोर्ट तक जजों को इन मामलों की सुनवाई करनी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश हो या महाराष्ट्र या कहीं और, कब और किन शब्दों पर विवाद खड़ा हो जाए, कहना मुश्किल है। इसी कड़ी में आज Supreme Court का एक ऐतिहासिक फैसला आया है जो अभिव्यक्ति की आजादी के मानदंडों को और मजबूत करेगा। दरअसल, शीर्ष अदालत में जस्टिस एएस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा, ”विचारों और दृष्टिकोणों की स्वतंत्र अभिव्यक्ति एक स्वस्थ सभ्य समाज का अभिन्न अंग है। इसके बिना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत सम्मानजनक जीवन जीना लगभग असंभव है। कविता, नाटक, कला, व्यंग्य समेत साहित्य जीवन को समृद्ध बनाता है।” आइए समझते हैं क्या है पूरा मामला।
कला के जरिए अभिव्यक्ति की आजादी जरूरी- Supreme Court
इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी लोकतंत्र का अभिन्न अंग है। ऐसे ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना अदालत का कर्तव्य है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह सुनिश्चित करना भी अदालत का कर्तव्य बनता है कि संविधान और संविधान के आदर्शों का उल्लंघन न हो। Supreme Court ने कहा कि कविता, नाटक, फिल्म, व्यंग्य, कला सहित साहित्य मनुष्य के जीवन को अधिक सार्थक बनाता है। पुलिस को लोगों की बुनियादी अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
कविता मामले में Imran Pratapgarhi पर दर्ज हुआ था FIR
दरअसल, जनवरी 2025 में गुजरात के जामनगर में सामूहिक विवाह समारोह के दौरान पोस्ट किए गए 46 सेकंड के वीडियो को लेकर इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। वीडियो में प्रतापगढ़ी पर फूल बरसाए जा रहे थे और बैकग्राउंड में बज रही कविता को पुलिस ने “भड़काऊ” और “राष्ट्रीय एकता के खिलाफ” करार दिया और मामला दर्ज किया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 196 और 197 के तहत मामला दर्ज किए जाने की खबरें सुर्खियों में रहीं। यह जानकारी मिलने के बाद Imran Pratapgarhi ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यहां उनके वकीलों ने एफआईआर रद्द करने की दलील दी। लेकिन यहां कोर्ट ने प्रतापगढ़ी को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि जांच शुरुआती चरण में है और प्रतापगढ़ी ने मामले की जांच में सहयोग नहीं किया है।
Supreme Court के इस फैसले से Kunal Kamra को मिलेगी राहत?
इसके बाद इमरान प्रतापगढ़ी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। आज मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया पर कविता पोस्ट करने के मामले में प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया। कविता से जुड़े आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़े दूसरे मामलों में भी उम्मीद जगी है। साथ ही कॉमेडियन Kunal Kamra से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में भी यह फैसला अहम साबित हो सकता है। जो एक पैरोडी के दौरान शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे को ‘देशद्रोही’ कहने के लिए मानहानि के मुकदमे का सामना कर रहे हैं। इसे लेकर महाराष्ट्र में राजनीति भी गरमा गई है।
ये भी पढ़ें: Navratri 2025: नवरात्रि के पहले दिन भूल कर भी न करें ये काम, नहीं तो घर में आ जाएगी कंगाली, रूठ जाएंगी मां शैलपुत्री!