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Premanand Maharaj: गाड़ियों पर मंत्र लिखवाने वालों को गुरु प्रेमानंद की नसीहत! ये नहीं किया तो हो सकता है समूल नाश

गुरु Premanand Maharaj ने गाड़ियों के आगे मंत्र लिखवाने वालों को नसीहत देते हुए उपदेश दिया है। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि गाड़ियों पर मंत्र लिखवाना नरक जाने का रास्ता है।

Premanand Maharaj
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Premanand Maharaj: आधुनिकता के इस दौर में गाड़ियों पर मंत्र लिखाने का चलन आम हो गया है। सड़क पर निकलें तो तमाम ऐसी गाड़ियां नजर आ जाती हैं जिस पर हनुमान जी महाराज, प्रभु श्रीराम, राधा-रानी, प्रभु श्रीकृष्ण व अन्य देवताओं की अराधना वाले मंत्र लिखे होते हैं। हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसा करना समूल नाश का कारण बन सकता है। गुरु प्रेमानंद महाराज ने गाड़ियों पर मंत्र लिखवाने वालों को नसीहत देते हुए ऐसा ना करने की बात कही है। प्रेमानंद महाराज का कहना है कि गाड़ियों पर मंत्र लिखवाना नरक जाने के मार्ग के समान है। आइए हम आपको गुरु प्रेमानंद महाराज द्वारा कही गई बातें विस्तार से बताते हैं।

गाड़ियों पर मंत्र लिखवाने वालों को Premanand Maharaj की नसीहत!

भजनमार्ग के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से जारी एक शॉर्ट वीडियो में प्रेमानंद महाराज को नसीहत देते सुना जा सकता है।

गाड़ियों के आगे मंत्र लिखवाने से जुड़े सवाल पर गुरु प्रेमानंद कहते हैं कि “ये नरक जाने का रास्ता है। ये मंत्र का अपमान है। मंत्र क्या गाड़ियों में लिखने के लिए बना है। इसे हृदय में बसाना चाहिए। आप शिवपुराण में देखो, तमाम ऐसे मंत्र हैं जो शिष्यों को दीक्षा देने के लिए हैं। हालांकि, सिनेमा में चल गया है, तो लोग इसका उच्चारण कर रहे हैं। मंत्र यदि कोई ऋषि-मुनि जप कर रहे हैं, तो वैसे ही थोड़ी कर रहे हैं। मंत्र की सिद्धि तब होगी जब हृदय से इसका उच्चारण हो। दिखाने के लिए किया गया, तो इसका दुष्प्रभाव ही पड़ेगा।”

शास्त्रीय पद्धतियों का पालन नहीं किया, तो हो सकता है समूल नाश!

आधुनिकता के दौर में सब कुछ भूलकर आडंबर का रास्ता चुनने वालों के लिए प्रेमानंद महाराज की नसीहत बेहद खास है। गुरु प्रेमानंद ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि शास्त्रीय पद्धतियों को नहीं माना गया, तो मन में विकार बढ़ेंगे, कुरीतियां हावी होंगी, आर्थिक व शारिरीक नुकसान होगा जो आगे चलकर समूल नाश का कारण बन सकता है।

प्रेमानंद महाराज का साफ तौर पर कहना है कि मंत्रों को ऐसे जपना भी नहीं चाहिए। पहले गुरु से मंत्र लें, गुरमुख बनें और फिर जप करें। मंत्रोच्चारण के दौरान पवित्र स्थान पर बैठें, पवित्र वस्त्र पहनें और मन स्वच्छ रखें। आप नाम जप सकते हो, नाम कीर्तन खूब करो। इसको लेकर मनाही नहीं है। लेकिन मंत्रोच्चारण से पूर्व सभी बातों का ध्यान रखो। शास्त्रीय पद्धतियों का ख्याल रखते हुए मंत्रोच्चारण करो, अथवा हानि हो सकती है।

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