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‘अगर चरित्र पवित्र है तो..,’ कुंडली-जन्मपत्री से जुड़े सवाल पर Premanand Maharaj का खास तर्क, जाने क्यों किया लव मैरिज का जिक्र?

गुरु Premanand Maharaj ने शादी-विवाह के लिए कुंडली-जन्मपत्री के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने बताया है कि शादी-विवाह में कुंडली का मिलान करना क्यों जरूरी है। इसके साथ ही गुरु प्रेमानंद ने लोगों को गृहस्थ जीवन में संतुलन बनाकर चलने की सलाह भी दे दी है।

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Premanand Maharaj
Picture Credit: सोशल मीडिया (सांकेतिक तस्वीर)

Premanand Maharaj: शादी-विवाह के लिए कुंडली-जन्मपत्री का होना कितना जरुरी है? इस सवाल का जवाब राधा केली कुंज से गुरु प्रेमानंद महाराज ने दिया है। गुरु प्रेमानंद ने एक अनुयायी के मन में उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए बड़ी बात कह दी है। Premanand Maharaj ने कहा है कि शादी-विवाह के लिए कुंडली-जन्मपत्री का होना जरूरी तो है। यदि चरित्र पवित्र है तो लोगों को हर बात सह लेनी चाहिए।” बता दें कि सनातन परंपरा में जन्मपत्री या कुंडली का खास महत्व माना जाता है। इसके माध्यम से लोग शादी-विवाह के लिए वर-वधु के ग्रह-नक्षत्रों का मिलान कर एक अनुमान पेश करते हैं। यही वजह है कि प्रेमानंद महाराज ने भी शादी-विवाह के लिए कुंडली या जन्मपत्री को अनिवार्य बताया है।

शादी-विवाह के लिए कुंडली-जन्मपत्री की अनिवार्यता पर क्या बोले Premanand Maharaj?

भजनमार्ग के आधिकारिक यूट्यूब हैंडल से जारी एक वीडियो में प्रेमानंद महाराज को कुंडली या जन्मपत्री की अनिवार्यता पर अपना पक्ष रखते सुना जा सकता है। गुरु Premanand Maharaj कहते हैं कि “कुंडली-जन्मपत्री बनानी जरूरी होता है। इसे बनाकर ही विवाह-शादी करनी चाहिए। आजकल ऐसा समय आ रहा है कि अब कौन कुंडली देखता है। कितने गुण मिले, ग्रह-नक्षत्र की गणना है, ये सब कहां चल रहा है। अब तो लव मैरिज का चलन है। लोग कह रहे हैं जिनकी ज्यादा कुंडली मिलती है उनकी लड़ाई हो रही है। देखो लड़ाइयां तब बंद होगी जब सदविचार होंगे। कुंडली से थोड़ी हो जाएगा। आपका सद्विचार हो तभी सब मंगल होगा।”

प्रेमानंद महाराज ने गृहस्थ जीवन में संतुलन बनाए रखने की दी सलाह

गुरु Premanand Maharaj का कहना है कि “अगर पत्नी कटू बोल रही और हम थोड़ा नम्र हो गए, तो हम दोनों जीवन साथी का बढ़िया मंगलमय होगा। कभी आप गुस्सा हो तो वो थोड़ा डाउन हो जाए। बारी-बारी से आप अपनी बात रखें। ऐसे संतुलन बनाकर चलने की जरूरत है। यदि पत्नी किसी कारण से असंतुष्ट हो तो उसे संतुष्ट करना चाहिए। आपको समस्या को समझना चाहिए। लड़ना, मारना, पीटना ये सबे राक्षसी व्यवहार ठीक नहीं है। स्त्रियां देवी शक्ति हैं। हम तो इतना कहते हैं, अगर चरित्र पवित्र है तो हर बात सह लेनी चाहिए। चाहे पति हो चाहे पत्नी हो, एक दूसरे की कमियों को सह लें।हां अगर सामने वाला चरित्रहीन हो तो फिर संबंध कैसे चल पाएगा। बाकी सारी कमियां बर्दाश्त की जा सकती हैं, लड़का या लड़की चरित्रहीन नहीं होना चाहिए।”

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