Bengal SIR: सियासी गलियारों का तापमान बढ़ गया है और पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे के सामने हैं। यहां बात बिहार की नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल की हो रही है, जहां टीएमसी और बीजेपी में एसआईआर को लेकर खींचातानी शुरू है। सूबे की सत्तारुढ़ दल टीएमसी जहां एक ओर एसआईआर का खुलकर विरोध कर रही है। वहीं बीजेपी एसआईआर को चुनाव आयोग की नियमित कवायद बताते हुए ममता बनर्जी की टीएमसी को निशाने पर ले रही है।
टीएमसी की चेतावनी के बीच बीजेपी नेता सुकांत मजूमदार ने साफ तौर पर कहा है कि बंगाल में विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर होना चाहिए। यदि टीएमसी को दिक्कत है तो वे चुनाव आयोग या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इस पूरे प्रकरण ने बिहार में हुए एसआईआर के बाद अब बंगाल में संभावित एसआईआर की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया है।
बिहार के बाद अब Bengal SIR पर खींचातानी!
अगस्त-सितंबर का महीना बिहार की सियासत के लिए भारी रहा था जब चुनाव आयोग की टीम सूबे के विभिन्न हिस्सों में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण कर रही थी।
इसी कड़ी में अब बंगाल में होने वाले संभावित एसआईआर को लेकर सियासी पारा चढ़ता नजर आ रहा है। सीएम ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में उनकी पार्टी एसआईआर के खिलाफ कोलकाता में एक बड़ी रैली का आयोजन कर सकती है। इस रैली में सूबे की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी सहित पार्टी के तमाम शीर्ष नेताओं के भाग लेने की संभावना है। मीडिया से बात करते हुए कुणाल घोष ने लगभग चेताते हुआ कहा है कि संशोधित सूची से एक भी मतदाता को नहीं हटाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि इससे पूर्व तृणमूल कांग्रेस के नेता राजीव बनर्जी ने खुली धमकी दी थी। राजीव बनर्जी ने कहा था कि अगर संशोधन के दौरान मतदाताओं के नाम हटाए गए तो खून बहेगा। उनकी इस टिप्पणी को लेकर सूबे में खूब हो-हल्ला मचा था।
एसआईआर पर छिड़े सियासी संग्राम के बीच बीजेपी का सख्त रुख!
सूबे में विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर जारी बयानबाजी के बीच बीजेपी नेता व केन्द्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने सख्त रुख अपनाते हुए प्रतिक्रिया दी है। सुकांत मजूमदार ने टीएमसी को निशाने पर लेते हुए कहा है कि ये अभियान चुनाव आयोग की एक नियमित प्रक्रिया है। बीजेपी नेता का कहना है कि यदि टीएमसी को एसआईआर को लेकर कोई आपत्ति है, तो वह चुनाव आयोग जा सकती है या सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि 2026 विधानसभा चुनाव से पहले होने वाले संभावित एसआईआर को लेकर बंगाल में छिड़े सियासी संग्राम का अंत कैसे होता है।