Bihar Assembly Election 2025: दिन बीतने के साथ बिहार का चुनाव और दिलचस्प होता नजर आ रहा है। एक-एक कर उन तमाम महारथियों की चर्चा हो रही है जो बिहार के चुनावी मैदान में मजबूती से ताल ठोंक रहे हैं। ऐसा ही एक नाम से मोकामा से जेडीयू उम्मीदवार बाहुबली अनंत सिंह का। हालांकि, अनंत सिंह का नाम दुलारचंद यादव हत्याकांड के बाद दूसरे संदर्भ में लिया जाने लगा है।
हाई प्रोफाइल हत्याकांड का आरोप छोटे सरकार पर लगते ही 1 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच ये बदला चुनावी समीकरण वर्ष 2015 की याद दिलाता है। ये वो समय था जब अनंत सिंह जेल से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे। ऐसे में सवाल है कि क्या अनंत सिंह वर्ष 2015 वाला समीकरण फिर दोहरा सकते हैं? ऐसे में आइए हम आपको सबकुछ विस्तार से बताते हैं।
क्या मोकामा में फिर नजर आ सकता है 2015 वाला समीकरण? – Bihar Assembly Election 2025
पुख्ता रूप से इस सवाल का जवाब देना अभी संभव नहीं है। मोकामा का चुनावी परिणाम क्या होगा ये 14 नवंबर को मतगणना के साथ ही स्पष्ट हो सकेगा। हालांकि, ये सच है कि मोकामा की राजनीति बाहुबली अनंत सिंह के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। दुलारचंद यादव हत्याकांड मामले में गिरफ्तार हुए अनंत सिंह अब जेल में बंद हैं। आसार जताए जा रहे हैं कि मतदान से पूर्व उन्हें बेल मिलने की संभावना बेहद कम है। ऐसी स्थिति में अनंत सिंह को जेल के भीतर से चुनाव लड़ना होगा।
यदि इस बदले समीकरण में भूमिहार अनंत सिंह के लिए एकजुट हुए, तो परिणाम उनके पक्ष में आ सकता है। वहीं मोकामा में अगड़ा-पिछड़ा होने का समीकरण अनंत सिंह को कमजोर कर सकता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि धानुक समुदाय अभी भी अनंत सिंह के साथ मजबूती से खड़ा है जो उनकी सियासी संभावनाओं को मजबूत करता है। वहीं उनकी गिरफ्तारी सहानुभूति की एक लहर पैदा कर रही है जो अनंत सिंह के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। ऐसे में यदि अनंत सिंह अबकी बार जेल के अंदर से चुनाव जीतते हैं, तो 2015 वाला समीकरण दोहराता नजर आएगा।
दुलारचंद हत्याकांड ने बढ़ाई बाहुबली नेता की मुश्किलें!
वर्ष 2005 से लगातार मोकामा में अपनी धाक जमाने में कामयाब रहे अनंत सिंह की मुश्किलें दुलारचंद यादव हत्याकांड के बाद बढ़ी हैं। जनसुराज समर्थक की हत्या होने के बाद इलाके में रोष का माहौल है। जो अनंत सिंह बढ़-चढ़कर प्रचार-प्रसार में जुटे थे। आनन-फानन में उन्हें बीएनएस की धारा 103 (हत्या का आरोप) के तहत गिरफ्तार किया गया है।
यदि अनंत सिंह इस मामले में दोषी पाए गए, तो उन्हें उम्रकैद या फांसी तक की सजा हो सकती है। वहीं अगर मोकामा की चुनावी धरती पर मामला अगड़ा बनाम पिछड़ा हुआ, तो अनंत सिंह पिछड़ सकते हैं। हालांकि, सरकार ने कार्रवाई कर मतदाताओं के बीच अहम संदेश भेजा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि मोकामा की जनता किसे विधानसभा भेजती है और कौन खेद रहता है।
