Uddhav Thackeray: अनिश्चित घटनाक्रमों का शिकार बन सत्ता की कुर्सी से हटे उद्धव ठाकरे के एक फैसले की खूब चर्चा है। इसकी बाद हम करेंगे, पर पहले अतीत के पन्ने पलाटते हैं ताकि सभी को शिवसेना की हिंदुत्व वाली विचारधारा याद आ जाए। दरअसल, देश में Waqf Amendment Bill को लेकर नए सिरे से चर्चा छिड़ी है। एक ओर समर्थन देने वालों में BJP के नेतृत्व वाले NDA में शामिल दल हैं, तो वहीं दूसरी ओर सपा, राजद, कांग्रेस, जेएमएम, शिवसेना यूबीटी जैसे दल वक्फ के विरोध में खूंटा गाड़ बैठे हैं। Uddhav Thackeray इसी कदम को लेकर घिर रहे हैं।
एकनाथ शिंदे ने बालासाहेब और हिंदुत्व की विचारधारा का जिक्र करते हुए शिवसेना यूबीटी को आईना दिखाया है। यही वजह है कि सवाल BMC Election को लेकर भी उठ रहे हैं। पूछा जा रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे ने बीएमसी चुनाव से पहले वक्फ बिल के खिलाफ रुख स्पष्ट कर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार लिया है? तो आइए आज इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं।
आखिर एकनाथ शिंदे ने Uddhav Thackeray को क्यों दिलाई हिंदुत्व और बालासाहेब की याद?
जब अतीत के पन्ने उलाटेंगे तो बालासाहेब के नेतृत्व वाली शिवसेना द्वारा उठाई गई हिंदुत्व की आवाज सुनाई देगी। हालांकि, अब स्थिति अलग है और शिवसेना दो खेमों में बंट गई है। एकनाश शिंदे के नेतृत्व में एक खेमा BJP के साथ हैं, तो वहीं दूसरी खेमा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में विपक्ष का हिस्सा बनी हुई है। इसी बीच एकनाथ शिंदे ने Uddhav Thackeray की शिवसेना को वक्फ बिल का विरोध करने के लिए आईना दिखाया है। Eknath Shinde ने कहा है कि “शिवसेना यूबीटी ने वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करके अपना असली चेहरा दिखाया है। उन्होंने हिंदुत्व और बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को त्याग दिया है। उनके समर्थक शर्मिंदा हैं। यह संशोधन विधेयक वक्फ संपत्तियों पर मुट्ठी भर लोगों के एकाधिकार को खत्म कर देगा। कांग्रेस चाहती है कि गरीब, गरीब ही रहें। उद्धव ठाकरे ने वही कहा जो असदुद्दीन ओवैसी ने कहा।”
क्या Waqf Bill का विरोध कर BMC चुनाव से पहले गलत कर बैठे उद्धव ठाकरे?
ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि शिवसेना पहले से ही हिंदुत्व का समर्थन करने वालों में से रही है। बीजेपी के तर्ज पर शिवसेना गठन के बाद से ही हिंदुत्व की बात करते आई है। हालांकि, शिवसेना में टूट के बाद स्थिति बदली है और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट धर्मनिरपेक्षता की बात करता नजर आ रहा है। यही वजह है कि जहां BJP मुखरता से वक्फ बिल के समर्थन में है, तो वहीं Uddhav Thackeray की शिवसेना इस बिल का विरोध कर रही है। शिवसेना यूबीटी के इस फैसले का असर क्या BMC चुनाव पर भी होगा?
ऐसा इसलिए पूछा जा रहा है क्योंकि उद्धव ठाकरे का प्रभाव विधानसभा चुनाव के दौरान सिमटता नजर आया था। पार्टी महज 21 सीटों पर ही सिमट गई थी। ऐसे में जहां एक ओर हिंदुत्व की बात करने वाले एकनाथ शिंदे खुद को बालासाहेब का उत्तराधिरी बता रहे हैं, वहां Uddhav Thackeray का वक्फ के समर्थन में जाना कई संभावनाओं को जन्म दे रहा है। फिलहाल उद्धव का ये फैसला सही है या गलत ये भला उनसे बेहतर कौन जान सकता है। हां, इसका असर BMC Election पर कितना होगा, ये देखना दिलचस्प होगा।