BMC Elections 2026: मुंबई की सियासी हवा बदल चुकी है। जो कल तक धुर-विरोधी हुआ करते थे अब वो एक मंच से सियासी संभावनाओं को बेहतर करने की दिशा में हुंकार भरेंगे। दरअसल, तमाम उठा-पटक के बीच आज अंतत: मुंबई के वरली में स्थित होटल ब्लू में शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के गठबंधन का ऐलान हो गया है। दोनों दल मिलकर बीएमसी चुनाव 2026 में अपनी किस्मत आजमाएंगे।
उद्ध ठाकरे, राज ठाकरे, आदित्य ठाकरे और अमित ठाकरे की मौजूदगी में दोनों दलों के गठबंधन का ऐलान हुआ है। वर्षों तक एक-दूसरे के धुर-विरोधी रहे ठाकरे ब्रदर्स अब बीएमसी इलेक्शन 2026 में बीजेपी के विजय रथ को रोकने का प्रयास करेंगे। सवाल उठ रहे हैं कि क्या शह-मात के इस खेल में ठाकरे ब्रदर्स के साथ आने से असर पड़ेगा? आइए सभी पहलुओं पर विस्तार से बात करते हैं।
वर्षों तक धुर-विरोधी रहे ठाकरे ब्रदर्स BMC Elections 2026 से पहले हुए साथ!
मुंबई के वरली में स्थित ब्लू होटल में हुई मीटिंग ने महाराष्ट्र की सियासी हवा को बदल दिया है। वर्षों तक धुर-विरोधी रहे उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने बीएमसी चुनाव से पहले हाथ मिला लिया है। शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के गठबंधन की घोषणा राज ठाकरे ने की है। हालांकि, अभी ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा। लेकिन ये ऐलान हो गया है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की पार्टी बीएमसी चुनाव 2026 एक साथ मिलकर लड़ेगी।
गठबंधन के ऐलान के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे, अपनी पत्नियों के साथ, शिवाजी पार्क में बालासाहेब ठाकरे के स्मारक पर पहुंचे। सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर एक साथ रहने का प्रण लिया है। बीएमसी चुनाव 2026 से पहले हुए इस गठबंधन को लेकर संजय राउत ने कहा कि “यह महाराष्ट्र और मराठी जनता के लिए खुशी का क्षण है। 20 वर्षों तक ठाकरे बंधुओं का साथ नहीं रहा और महाराष्ट्र को इसका बहुत नुकसान उठाना पड़ा। अब भाजपा को सबक सिखाने और मुंबई में चल रही लूट को रोकने के लिए उद्धव और राज ठाकरे एकजुट हुए हैं।”
क्या नए गठबंधन से शह-मात के इस खेल पर पड़ेगा असर?
इस सवाल का पुख्ता जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है। दरअसल, बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी को अविभाजित शिवसेना का गढ़ माना जाता रहा है। यहां शुरू से ही बाला साहेब का प्रभुत्व देखने को मिला और अविभाजित शिवसेना सब पर भारी रहती थी। हालांकि, अब समीकरण बदल चुके हैं। एकनाथ शिंदे शिवसेना का एक खेमा लेकर बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी के साथ हुंकार भर रहे हैं।
दूसरी ओर कांग्रेस अपने अलग सुर अलाप रही है। हाल ही में हुए निकाय चुनाव के दौरान भी विपक्ष को करारी हार मिली थी। टिप्पणीकारों की मानें तो महाराष्ट्र के कई इलाकों में जनता शिंदे गुट की शिवसेना को असली सेना मान रही है। हालांकि, मुंबई की बात अलग है। इसे ठाकरे परिवार का गढ़ माना जाता है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि 15 जनवरी, 2026 को होने वाले बृहन्मुंबई महानगरपालिका चुनाव में ठाकरे बंधु की एकजुटता का क्या असर होता है।






