Mohan Bhagwat: चुनावी दहलीज पर खड़े पश्चिम बंगाल में बयानबाजी का दौर जारी है। आए दिन सियासी गलियारों में ऐसे बयान गूंजते हैं जो बंगाल के साथ पूरे देश का पारा चढ़ाते हैं। इसी कड़ी में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक बयान भी सामने आया है। संघ प्रमुख ने कोलकाता की धरती से आरएसएस के ‘100 व्याख्यान माला’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के हिंदू राष्ट्र को लेकर प्रतिक्रिया दी है। सर संघचालक मोहन भागवत ने साफ तौर पर कहा कि भारत तब तक हिंदू राष्ट्र रहेगा, जब तक देश में भारतीय संस्कृति का सम्मान किया जाता रहेगा। उन्होंने आरएसएस के मुस्लिम विरोधी होने से जुड़े दावों का भी खंडन करते हुए हिंदू राष्ट्रवादी संगठन की विचारधारा को साफ तौर पर प्रस्तुत किया है।
कोलकाता की धरती से संघ प्रमुख Mohan Bhagwat ने भरी हुंकार
बंगाल की राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने हुंकार भरी है। भारत के हिंदू राष्ट्र से जुड़े विषय पर मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए मोहन भागवत ने सारे भाव स्पष्ट किए हैं। संघ प्रमुख का कहना है कि “हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है। जो भी भारत को अपनी मातृभूमि मानता है, वह भारतीय संस्कृति की कद्र करता है। जब तक हिंदुस्तान की धरती पर एक भी व्यक्ति जीवित है जो भारतीय पूर्वजों की महिमा में विश्वास रखता है और उसका सम्मान करता है भारत तब तक हिंदू राष्ट्र रहेगा।”
भारतीय संविधान का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि “संविधान में संशोधन करके वह शब्द (हिंदू राष्ट्र) जोड़ दे, चाहे वे ऐसा करें या न करें, कोई बात नहीं। हमें उस शब्द से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि हम हिंदू हैं और हमारा देश हिंदू राष्ट्र है और यही सच्चाई है।” धर्मनिरपेक्ष शब्द का जिक्र करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि ये संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा नहीं था। इसे 1976 में संविधान के 42वें संशोधन के दौरान जोड़ा गया।
आरएसएस के मुस्लिम विरोधी होने पर क्या बोले संघ प्रमुख?
संघ प्रमुख ने स्पष्ट रूप से बेबाकी के साथ अपने हिस्से का पक्ष रखते हुए इस दावे को पूरी तरह से नकार दिया कि आरएसएस एक मुस्लिम विरोधी संगठन है। मोहन भागवत ने कहा कि संघ हिंदुओं की रक्षा की वकालत करता है और कट्टर राष्ट्रवादी है, लेकिन मुस्लिम विरोधी नहीं है। आरएसएस का काम पारदर्शी है। जिसके मन में भी किसी प्रकार का भ्रम हो, वो संघ की कार्यशैली को देखें और फिर अपनी मनोदशा स्पष्ट करें। लोगों को आरएसएस के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। अभी संघ के कई पहलुओं को समझना बाकी है।






