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SIR Draft Voter List: मतदाता सूची से हटेंगे लाखों नाम! बंगाल में दर्जनों सीटों पर बदल सकता है समीकरण, टीएमसी में हलचल के बीच क्या होगा सीएम ममता का अगला कदम?

SIR Draft Voter List: बंगाल में आज मतदाता सूची का मसौदा जारी होना है जिसको लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। भारी संख्या में मतदाताओं के नाम कटने की संभावना के बीच सत्तारुढ़ टीएमसी खेमा में हो-हल्ला मचा है।

SIR Draft Voter List
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

SIR Draft Voter List: हावड़ा से लेकर सिलीगुड़ी, मालदा, कोलकाता तक सियासी हलचल तेज हो गई है। इसका प्रमुख कारण है चुनाव आयोग की ओर से जारी की जाने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची। दरअसल, आज चुनाव आयोग एसआईआर प्रक्रिया के अंतर्गत 5 राज्यों के लिए ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी करेगा। राजस्थान, गोवा, पुडुचेरी और लक्षद्वीप के साथ पश्चिम बंगाल का नाम भी उस सूची में शुमार है जहां के लिए ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी होनी है। हालांकि, सबकी निगाहें प्रमुख रूप से बंगाल पर ही टिकी हैं जहां करीब 58 लाख नाम मतदाता सूची से कटने की संभावना व्यक्त की जा रही है। यदि ऐसा हुआ तो बंगाल की दर्जनों सीट का समीकरण बदल सकता है। इसको लेकर टीएमसी खेमा में हलचल तेज हो गई है। सवाल उठ रहे हैं कि सीएम ममता बनर्जी ऐसी स्थिति में अगला कदम क्या उठाएंगी?

बंगाल की मतदाता सूची से लाखों नाम कटने पर बदल सकता है समीकरण!

कयासों की मानें तो बंगाल में करीब 58 लाख मतदाताओं के नाम कट सकते हैं। ये ऐसे मतदाता हैं जो मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, पता न मिलने वाले या कई जगहों पर पंजीकृत होने के कारण ड्राफ्ट सूची से बाहर हो सकते हैं। इसके अलावा ड्राफ्ट मतदाता सूची से उन वोटर्स का नाम भी कट सकता है जो फॉर्म में पूरी जानकारी नहीं दे सके हैं। यदि ऐसा हुआ तो बंगाल के कुल 7.5 फीसदी मतदाताओं का नाम कटेगा। इसका सीधा असर राज्य की सभी 294 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा और औसतन हर सीट से करीब 19000 मतदाता कम होंगे। यदि ऐसा होता है तो बंगाल के ज्यादातर सीटों पर समीकरण बदलना तय है जो आगे की सियासत को तय करेगा।

टीएमसी में हलचल के बीच क्या होगा सीएम ममता का अगला कदम?

खबरों की मानें तो मतदाता सूची के मसौदा को लेकर बंगाल के सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सबसे ज्यादा हो-हल्ला सत्तारुढ़ टीएमसी खेमा में मचा है। जहां 2 से 3 फीसदी का वोटर टर्नआउट पूरी सरकार बदल सकता है। ऐसे में 7.5 फीसदी मतदाताओं का नाम कटना निश्चित रूप से प्रभावशाली होगा। इसका सीधा असर टीएमसी के समीकरण पर पड़ सकता है जो वर्ष 2011 से लगातार बंगाल की सत्ता में काबिज है। इन्हीं परंपरागत मतदाताओं के सहारे सीएम ममता बनर्जी की सियासी नैया पार होती रही है। ऐसे में यदि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम कटते हैं, तो देखना दिलचस्प होगा कि सीएम ममता बनर्जी अगला कदम क्या उठाती है।

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