Artificial intelligence: एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब किसी एक सेक्टर तक सीमित नहीं है। एआई का दायरा टेक्नोलॉजी, गेमिंग, एजुकेशन, हेल्थ, रिसर्च और कई अन्य क्षेत्रों में अपना दायरा बढ़ा चुका है। लोग आजकल अपने स्मार्टफोन पर रोजाना एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं और अपनी लाइफ के कई कठिन कार्यों को आसान बनाते हैं। मगर क्या एआई कठिन परीक्षाओं जैसे- UPSE, SSC, CA और बैकिंग सेक्टर में जाने की तैयारी कर रहे छात्रों की मदद कर सकता है? एआई के इस्तेमाल से परीक्षा की तैयारी करने में टाइम की बचत होती है? या फिर बस टेक्नोलॉजी का माया जाल है?
Artificial intelligence बन सकता है मददगार
आपको बता दें कि मौजूदा वक्त में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के कई टूल उपलब्ध हैं। इसमें ChatGPT और Google Gemini के अलावा कई अन्य विकल्प हैं। आज के टाइम में किसी भी कठिन परीक्षा की तैयारी करने वाले लोगों के पास सिर्फ कोचिंग की सीमा नहीं है। इंटरनेट पर ट्रेंड में बने हुए ये चैटबॉट परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी करने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसे स्मार्ट परीक्षा का संसाधन भी माना जाता है। ऐसे में इन स्मार्ट टूल्स के जरिए छात्रों को स्मार्ट नोट्स, मॉक टेस्ट की तैयारी, जवाबों का एनालिसिस और इंटरव्यू का अभ्यास करवाने में भी सक्षम है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर निर्भरता कर सकती है नुकसान
कठिन परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों के पास Artificial intelligence की मदद लेने का काफी बढ़िया ऑप्शन है। मगर यह विकल्प तभी तक अच्छा माना जा सकता है, जब तक लोग टेक्नोलॉजी पर निर्भर नहीं हो जाते हैं। पिछले कुछ सालों में एआई ने एजुकेशन सिस्टम को काफी सुगम बनाया है। एआई का प्रभाव छात्रों के लिए सकारात्मक रहा है। मगर पूरी तरह से एआई पर निर्भर हो जाना, यह काफी जोखिमभरा कदम हो सकता है। किसी भी कठिन परीक्षा को पास करने के लिए अभ्यास अनिवार्य है, मगर एआई के ऊपर बढ़ती निर्भरता से नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद के साथ अपनी समझ और ज्ञान पर करें फोकस
कई एक्सपर्ट का मानना है कि Artificial intelligence को एजुकेशन सेक्टर में सहायक के तौर पर देखना चाहिए। अगर पूरी तरह से एआई पर ही निर्भर हो गए, तो किसी भी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल करना चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। दरअसल, एआई द्वारा दिए गए सभी जवाब 100 फीसदी सटीक नहीं होते हैं। ऐसे में एआई पर आंख बंद करके भरोसा करना काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसे में एआई की मदद के साथ-साथ अपनी समझ और ज्ञान पर भी जोर देना जरूरी है।