ISRO: दुनियाभर में अपना परचम लहराने वाली अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो को रविवार को एक बड़ा झटका लगा। इसरो का सबसे भरोसेमंद ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी61 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण के बाद ईओएस-09 उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में पहुंचाने में कामयाब नहीं हुआ। इसरो ने एक्स यानी ट्विटर पर पोस्ट कर लिखा,’आज 101वाँ प्रक्षेपण प्रयास किया गया, PSLV-C61 का प्रदर्शन दूसरे चरण तक सामान्य रहा। तीसरे चरण में अवलोकन के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका।’
ISRO के PSLV C61 EOS 09 मिशन में कहां हुई गड़बड़ी
बता दें कि इसरो ने रविवार को 101वां प्रक्षेपण पीएसएलवी-सी61 के साथ किया, जिसमें EOS-09 नामक एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ले जाया गया, जिसे सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में रखा जाना था। EOS-09 मिशन पूरा नहीं हो सका। पीएसएलवी-सी61 के प्रक्षेपण पर इसरो प्रमुख वी नारायणन ने कहा, ‘तीसरे चरण के संचालन के दौरान हम एक अवलोकन देख रहे हैं और मिशन पूरा नहीं हो सका। विश्लेषण के बाद हम वापस आएंगे।’ वी नारायणन के मुताबिक, रॉकेट के तीसरे चरण में समस्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो एक ठोस मोटर प्रणाली थी, यह महत्वपूर्ण चरण प्रारंभिक बूस्ट चरणों के बाद पेलोड को उसकी इच्छित कक्षा के करीब ले जाने के लिए जिम्मेदार है।
पीएसएलवी सी61 ईओएस 09 विफल होने से इसरो की बड़ी उम्मीद को लगा झटका
जानकारी के मुताबिक, ईओएस-09 एक उन्नत पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है जो सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार तकनीक से लैस है। यह दिन हो या रात, सभी मौसम की परिस्थितियों में पृथ्वी की सतह की हाई रेजॉल्यूशन वाली तस्वीरें खींच सकता है। यह क्षमता कई क्षेत्रों में भारत की निगरानी और प्रबंधन प्रणाली को बढ़ाती है।
वहीं, इसरो के पीएसएलवी सी61 ईओएस 09 को कक्षा में भेजने से पहले एजेंसी ने बताया था कि वैज्ञानिक डब्ल्यू सेल्वामूर्ति ने उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए इसरो के वैज्ञानिकों, तकनीशियनों और अंतरिक्ष संगठन से जुड़े उद्योगों को बधाई दी। उपग्रहों के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि ईओएस-09 उपग्रहों के एक ऐसे समूह का हिस्सा है, जिसका उपयोग कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन या सामरिक और सैन्य अनुप्रयोगों में भी किया जा सकेगा।