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Donald Trump ने दिया न्यूक्लियर टेस्ट का आदेश, खत्म हुआ 3 दशक से ज्यादा का इंतजार; क्या बढ़ते ग्लोबल तनाव के बीच अमेरिका का यह कदम एक नया दौर शुरू करेगा?

Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग 33 सालों बाद न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग शुरू करने का आदेश दे दिया है। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले से ग्लोबल स्तर पर फिर से तनाव बढ़ सकता है।

Donald Trump
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Donald Trump: एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दक्षिण कोरिया में मुलाकात हुई। वहीं, दूसरी ओर, अमेरिका ने एक ऐतिहासिक कदम उठा लिया है। डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से वैश्विक स्तर पर नया आयाम देखने को मिल सकता है। ‘India Today’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग फिर से स्टार्ट करने का ऐलान कर दिया है। राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले से लगभग 3 दशक से अधिक से चली आ रही वॉलंटरी रोक समाप्त हो गई है।

Donald Trump ने हटाई 33 साल पुरानी वॉलंटरी रोक

आपकी जानकारी में इजाफा करने के लिए बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को 1992 में न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग पर लगी वॉलंटरी रोक को हटाते हुए चीन और रूस की टेंशन बढ़ा दी। अमेरिकी प्रशासन के मुताबिक, चीन और रूस लगातार परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं। मगर अमेरिका अभी तक चुप-चाप बैठा था। ऐसे में दोनों देशों की टेस्टिंग क्षमता काफी तेज गति से बढ़ी है। ऐसे में अब अमेरिका भी अपने न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण शुरू कर रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की वजह से लिया बड़ा फैसला?

यूएस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका के पास किसी भी दूसरे देश के मुकाबले अधिक न्यूक्लियर हथियार हैं। रूस दूसरे नंबर पर है और चीन काफी पीछे तीसरे नंबर पर है, लेकिन पांच साल के अंदर वह भी बराबरी पर आ जाएगा।” उन्होंने कहा, “दूसरे देशों के टेस्टिंग प्रोग्राम्स की वजह से मैंने वॉर डिपार्टमेंट को निर्देश दिया है कि वह भी बराबरी के आधार पर हमारे न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग शुरू करे। यह प्रोसेस तुरंत शुरू होगा।”

यूएस के निर्णय से बदल सकती है हथियारों पर नियंत्रण करने की स्थिति

वहीं, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर अमेरिकी सरकार इस फैसले को लागू करती है, तो वैश्विक स्तर पर हथियारों पर नियंत्रण करने के सारे प्रयास असफल हो सते हैं। इतना ही नहीं, ट्रंप के इस फैसले के बाद दुनिया के अन्य परमाणु संपन्न देशों के साथ यूएस के रिश्ते भी बिगड़ सकते हैं। उधर, अमेरिका का यह कदम चीन को अमेरिका के खिलाफ कड़ा रूख अपनाने पर मजबूर कर सकती है। हालांकि, साउथ कोरिया के बुसान शहर में यूएस और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात भी काफी अहम साबित हो सकती है। मगर डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का दूरगामी परिणाम क्या होगा? इसके लिए कुछ समय इंतजार करना होगा।

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