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Nuclear Test: महायुद्ध की कगार पर जा सकती है दुनिया! परमाणु परीक्षण को लेकर ट्रंप के ऐलान से सनसनी, क्या भारत के हाथ भी लगेगा मौका? जानें

प्रेसिडेंट ट्रंप ने Nuclear Test को लेकर ऐसा बयान दिया है जिससे कयासों का बाजार गर्म है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब दुनिया में फिर परमाणु परीक्षण का होड़ शुरू हो सकता है? यदि ऐसा होगा तो भारत की स्थिति क्या हो सकती है?

Nuclear Test
Picture Credit: गूगल (सांकेतिक तस्वीर)

Nuclear Test: दुनिया में एक बार फिर परमाणु परीक्षणों की होड़ मच सकती है। इस संभावना के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति के एक बयान को तर्क के रूप में पेश किया जा रहा है। प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने बीते 30 अक्टूबर को बताया था कि उन्होंने पेंटागन को न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण शुरू करने का निर्देश दिया है।

यदि ऐसा हुआ तो अमेरिका 33 वर्षों बाद न्यूक्लियर हथियारों का परीक्षण करेगा। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप का ये कदम दुनिया को महायुद्ध की कगार पर ले जा सकता है। ऐसा कैसे हो सकता है इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। साथ ही इस संभावना पर भी चर्चा होगी कि अमेरिकी राष्ट्रपति के ऐलान से भारत के हिस्से क्या लग सकता है। क्या भारत के लिए न्यूक्लियर टेस्ट की संभावनाएं बन सकेंगी? तो आइए विस्तार से इन सवालों का जवाब ढूंढ़ते हैं।

दुनिया में Nuclear Test को लेकर ट्रंप के ऐलान से सनसनी

अमेरिकी राष्ट्रपति ने तीन दशकों बाद फिर एक बार न्यूक्लियर टेस्ट की चर्चा पर जोर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप ने बगैर किसी लाग-लपेट के पेंटागन को परमाणु परीक्षण के लिए निर्देशित किया है। आसार जताए जा रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप के इस ऐलान से दुनिया में सनसनी मच सकती है। यदि अमेरिका न्यूक्लियर टेस्ट की दिशा में कदम बढ़ाएगा, तो दुनिया के अन्य राष्ट्र भी इस फेहरिस्त में कतारबद्ध होने को बेताब नजर जाएंगे।

इससे दुनियाभर में न्यूक्लियर गतिविधियां बढ़ेंगी जो विश्व को महायुद्ध की कगार पर ले जा सकती है। इसके परिणामस्वरूप दुनिया में परमाणु युद्ध का वास्तविक खतरा बढ़ सकता है जो मनुष्यों के लिए काल साबित होगा।

क्या भारत के हाथ भी लगेगा मौका?

ये एक ऐसा सवाल है जिसका पुख्ता रूप से कुछ जवाब नहीं दिया जा सकता। दावा किया जा रहा है कि अमेरिका में न्यूक्लियर टेस्ट की शुरुआत होने से एक होड़ सी मचेगी। इसके परिणामस्वरूप दुनिया के अन्य तमाम शक्तिशाली राष्ट्र बहती गंगा में हाथ धोने को बेताब नजर आ सकते हैं। आलम ये होगा कि दुनिया के कई देश परमाणु हथियारों का परीक्षण कर सकते हैं।

ऐसा समीकरण भारत के लिए भी अनुकूल होगा। भारत मई 1998 में पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण के बाद फिर इस दिशा में कदम बढ़ा सकता है। हालांकि, इसको लेकर कई मत हैं जो समीकरण को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहे हैं। सही वक्त आने पर ही दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा कि भारत परमाणु परीक्षण की होड़ में शामिल होगा या नहीं।

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